चुनाव बाद भी कम नहीं होगी EMI, रेपो रेट में लगातार 8वीं बार कोई बदलाव नहीं

Published : Jun 07, 2024, 10:58 AM ISTUpdated : Jun 07, 2024, 01:35 PM IST
Reserve Bank Of India image

सार

RBI ने लगातार आठवीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। 7 जून को MPC मीटिंग के नतीजे सामने आए , जिसमें RBI ने रेपो रेट पहले की तरह 6.5% पर यथावत रखा है। 

RBI Monetary Policy: देश के केंद्रीय बैंक RBI ने लगातार आठवीं बार नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। RBI ने रेपो रेट पहले की तरह 6.5% पर ही बरकरार रखा है। यानी नए लोन तो महंगे नहीं होंगे लेकिन चुनाव बाद भी आपकी EMI नहीं घटेगी। यानी आपकी लोन की किस्तों में कोई बदलाव नहीं होगा। बता दें कि इससे पहले RBI ने आखिरी बार फरवरी 2023 में रेपो रेट 0.25 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 6.5% किया था।

MPC के 6 मे से 4 मेंबर नहीं चाहते थे रेपो रेट में बदलाव

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 5 जून से चल रही मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी 7 जून को दी। आरबीआी गवर्नर के मुताबिक, एमपीसी के छह में से 4 मेंबर रेपो रेट में किसी भी तरह बदलाव के पक्ष में नहीं थे। बता दें कि RBI की MPC में 6 सदस्य हैं। इसमें बाहरी और RBI अधिकारी दोनों शामिल हैं।

रिवर्स रेपो रेट 3.35%

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के मुताबिक एमपीसी बैठक में चर्चा के बाद रेपो रेट 6.50%, रिवर्स रेपो रेट 3.35%, स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी रेट 6.25%, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट 6.75% और बैंक रेट 6.75% रखा गया है। बता दें कि लोकसभा चुनाव के रिजल्ट घोषित होने के बाद ये आरबीआई मौद्रिक नीति की पहली समीक्षा बैठक थी। ये बैठक हर दो महीने में होती है। इससे पहले RBI ने अप्रैल, 2024 में हुई बैठक में भी ब्याज दरों में कोई इजाफा नहीं किया था।

क्या है Repo Rate?

जिस तरह बैंक हमें कर्ज देते हैं और उस कर्ज के बदले हमें उन्हें ब्याज देना पड़ता है। ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज निपटाने के लिए भारी-भरकम पैसों की जरूरत पड़ती है। बैंक ये कर्ज भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से लेते हैं। इस कर्ज पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूलता है, उसे ही रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट बढ़ाने या घटाने का सीधा असर महंगाई पर पड़ता है। जब महंगाई ज्यादा बढ़ जाती है तो RBI रेपो रेट बढ़ाकर बाजार से अतिरिक्त पैसा खींच लेता है। क्योंकि बैंकों को मिलने वाला लोन महंगा हो जाता है। जब उन्हें महंगा लोन मिलता है तो वो आम जनता को भी महंगे दर पर लोन देते हैं। इससे लोग लोन कम लेते हैं और बाजार में नकदी घट जाती है।

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