
Reliance Power loan scam: ईडी ने 3,000 करोड़ रुपये के लोन घोटाले की जांच में पहली गिरफ्तारी की है। इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी ने बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड (Biswal Tradelink Pvt Ltd) के मैनेजिंग डायरेक्टर पार्थ सारथी बिस्वाल को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि उन्होंने रिलायंस पावर (Reliance Power) के लिए 68.2 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी तैयार की थी।
ED सूत्रों के अनुसार, बिस्वाल ट्रेडलिंक ने Solar Energy Corporation of India को जो गारंटी सौंपी थी, वह फर्जी थी और इसका समर्थन फेक ईमेल और नकली डोमेन ‘s-bi.co.in’ के माध्यम से किया गया था जो कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (sbi.co.in) से मिलता-जुलता था।
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जांच में पता चला कि रिलायंस पावर ने इन फर्जी गारंटियों के बदले बिस्वाल ट्रेडलिंक को 5.4 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। कंपनी ने कम-से-कम सात ऐसे बैंक खाते संचालित किए जो किसी को जानकारी में नहीं थे और दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए डमी डायरेक्टरों का इस्तेमाल किया गया।
पार्थ सारथी बिस्वाल को Prevention of Money Laundering Act 2002 के तहत शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया और शनिवार को उन्हें विशेष अदालत में पेश किया गया जहां से उन्हें बुधवार तक ED की हिरासत में भेज दिया गया।
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इससे एक दिन पहले ही रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (Lookout Circular) जारी किया गया था। ED रिलायंस समूह की कंपनियों को YES बैंक से 2017 से 2019 के बीच दिए गए करीब 3,000 करोड़ रुपये के लोन की जांच कर रही है।
24 जुलाई से ED ने देशभर में 50 से ज्यादा कंपनियों पर छापे मारे थे जो इस घोटाले से जुड़े हैं। ये कार्रवाई लगातार तीन दिन तक चली। बताया गया कि YES बैंक के प्रमोटरों को लोन मंजूरी से पहले कथित रूप से भारी भुगतान किया गया था, जिससे quid pro quo (लेन-देन की सहमति) का संदेह गहराया।
रिलायंस पावर ने स्टॉक एक्सचेंज को भेजे एक पत्र में कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स 10 साल पुराने रिलायंस कम्युनिकेशन (RCOM) या रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) के ट्रांजैक्शन्स से संबंधित हैं।