Loan Rules : लोन देने के लिए अब वित्तीय संस्थाओं को माननी पड़ेंगी रिजर्व बैंक की ये शर्तें

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने लोन देने वाले ई-एग्रीगेटर्स के लिए एक नई गाइडलाइन अपडेट की है। इसके मुताबिक, लोन प्रोवाइडर का नाम, रकम, अवधि, सालाना ब्याज दर और दूसरी शर्तें शामिल होना चाहिए। ऐसे में दूसरे लोन की तुलना की जा सकेगी।

Nitesh Uchbagle | Published : Apr 27, 2024 10:39 AM IST / Updated: Apr 27 2024, 04:10 PM IST

बिजनेस डेस्क. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) लगातार नियमों में बदलाव कर रहा है। अब RBI ने ट्रांसपेरेंसी बढ़ाने के लिए बैंकों के एजेंट के तौर पर काम कर रहे लोन सेरिस प्रोवाइडर्स (LSP) के लिए नए नियमों का प्रस्ताव दिया हैं। इसके मुताबिक, लोन की सारी डिटेल्स कस्टमर्स को दें। RBI ने यह कदम लोन लेने वालों को सुविधा देने और उनके काम आसान करने के लिए बनाया है।

ये है ई-एग्रीगेटर्स के लिए गाइडलाइन

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने फिनटेक फर्मों को कंट्रोल करने के लिए नियमों को सख्त कर दिए है। डिजीटल के दौर में लोन प्रोवाइडर का नाम, रकम, अवधि, सालाना ब्याज दर और दूसरी शर्तें शामिल होना चाहिए। ऐसे में दूसरे लोन की तुलना की जा सकेगी। RBI का कहना है कि जिस पोर्टफोलियो पर गारंटी पर पेश की जाती है वह तय होनी चाहिए। यानी उसमें कोई बदलाव नहीं होने चाहिए। RBI ने इस प्रस्ताव पर 31 मई तक टिप्पणियां मांगी है।

जानें क्या होता है LSP

लोन सर्विस प्रोवाइडर्स (LSP) लोन प्रोवाइडर्स के एग्रीगेटर के रूप में काम करते हैं। ऐसे में उसके पास लोन प्रोवाइडर्स के बारे में जानकारी होती है। ये रेगुलेटर बैंकिंग यूनिट का एजेंट होता है, जो कस्टमर्स जोड़ने, कीमत तय करने, मॉनिटरिंग और स्पेसिफिक कर्ज की रिकवरी या कर्ज पोर्टफोलियो में आउटसोर्स गाइडलाइन के हिसाब से काम करता है।

फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए कोई बदलाव नहीं

RBI की गाइडलाइन के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए सरकारी सिक्योरिटीज, राज्य विकास लोन और कॉर्पोरेट बांड में फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया है।  

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