भारत में नहीं होगी नौकरियों की कमी, जानें इस साल कितने करोड़ लोगों को मिल सकती है JOBS

SBI रिसर्च ने EPFO और NPS के आंकड़ों का एनालिसिस कर एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें बताया गया है कि पिछले 4 साल में नौकरी पाने वाले लोगों की संख्या में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है।

Ganesh Mishra | Published : Sep 13, 2023 4:38 PM IST / Updated: Sep 14 2023, 02:12 PM IST

Employment in India: पूरी दुनिया मंदी के दौर से गुजर रही है, लेकिन भारत पर इसका असर बिल्कुल भी नहीं दिख रहा है। हाल ही में SBI रिसर्च ने EPFO और NPS के आंकड़ों का एनालिसिस कर एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें बताया गया है कि पिछले 4 साल में नौकरी पाने वाले लोगों की संख्या में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून 2023 के दौरान 19.2 लाख लोगों को नौकरियां मिलीं। ये वो लोग हैं, जिन्होंने पहले कभी काम नहीं किया था।

इस वित्त वर्ष में 1.6 करोड़ लोगों को मिल सकती है जॉब

SBI रिसर्च का मानना है कि अगर रोजगार का यही ट्रेंड बना रहा तो चालू वित्त वर्ष के दौरान करीब 1.6 करोड़ लोगों को नौकरियां मिल सकती हैं। अगर ऐसा हुआ तो ये किसी भी एक वित्त वर्ष के दौरान रोजगार पाने वालों का सबसे बड़ा आंकड़ा होगा। इनमें पहली बार नौकरी पाने वालों की संख्या भी रिकॉर्ड 70 से 80 लाख के बीच रह सकती है।

EPFO के आंकड़े दे रहे सकारात्मक संकेत

SBI रिसर्च ने EPFO और NPS के आंकड़ों के आधार पर जो रिपोर्ट तैयार की है, उसके मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 से 2022-23 यानी 3 साल के दौरान ईपीएफओ के सब्सक्राइबर्स की संख्या में 4.86 करोड़ का इजाफा हुआ है। चालू वित्त वर्ष में भी ट्रेंड अच्छा बना हुआ है और शुरुआती 3 महीने (अप्रैल-जून) में ही ईपीएफओ के सब्सक्राइबर्स में 44 लाख की बढ़ोतरी हो चुकी है।

4 साल में 31 लाख बढ़े NPS के नए सब्सक्राइबर्स

SBI रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले 4 साल के दौरान NPS के नए सब्सक्राइबर की संख्या करीब 31 लाख बढ़ चुकी है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान एनपीएस से 8.24 लाख सब्सक्राइबर जुड़े। इनमें सबसे ज्यादा 4.64 लाख राज्य सरकारों से हैं। राज्य सरकारों के बाद 2.30 लाख गैर-सरकारी नौकरियां हैं। वहीं केंद्र सरकार ने 1.29 लाख नए सब्सक्राइबर बढ़ाए हैं।

पहले की तुलना में कम नौकरियां बदल रहे लोग

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहले की तुलना में अब लोग नौकरियां कम बदल रहे हैं। इसका मतलब है कि वे अपने मौजूदा काम से खुश हैं और उसे ज्यादा समय तक करना पसंद कर रहे हैं। इसके अलावा EPFO के सब्सक्राइबर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी भी बढ़कर 27 प्रतिशत हो गई है।

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