SBI रिसर्च रिपोर्ट : देश में तेजी से घट रही गरीबी, केंद्र सरकार की योजनाओं का दिख रहा असर

SBI रिसर्च ने हाल ही में अपने Household Consumption Expenditure Survey के आंकड़ों को देखते हुए एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया है कि गरीबी दर घटाने में केंद्र सरकार की योजनएं किस तरह काम कर रही हैं।

Ganesh Mishra | Published : Feb 27, 2024 1:45 PM IST / Updated: Feb 27 2024, 07:16 PM IST

मुंबई। SBI ने हाल ही में एक रिसर्च की है, जिसमें पता चला है कि ग्रामीण और शहरी गरीबी में काफी गिरावट आई है। एसबीआई रिसर्च द्वारा किए गए कंज्यूमर एक्सपेंडिचर सर्वे (उपभोक्ता व्यय सर्वे) से गरीबी दर में गिरावट का पता चलता है। 2022-23 में ग्रामीण गरीबी जहां घटकर 7.2% रह गई है, वहीं शहरी गरीबी 4.6% है। 2011-12 से तुलना करें तो गांवों में गरीबी दर 25.7% थी, जबकि इसी अवधि में शहरी गरीबी 13.7% पर थी।

महामारी के बावजूद ग्रामीण-शहरी गरीबी में गिरावट

एक दशक के बाद हाल ही में जारी घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (HCES) के परिणाम बताते हैं कि किस तरह 2018-19 के बाद से ग्रामीण गरीबी में 440 बेसिस प्वाइंट की गिरावट आई है। वहीं, शहरी गरीबी में भी 170 बेसिस प्वाइंट की गिरावट दर्ज की गई है। कोरोना जैसी महामारी के बाद गिरावट इस बात की पुष्टि करती है कि निचले पायदान पर मौजूद लोगों के लिए सरकारी पहल कितनी मायने रखती है।

केंद्र सरकार की योजनाओं से ग्रामीण आजीविका में सुधार

SBI रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रामीण और शहरी मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (MPCE) के बीच का अंतर अब 71.2 प्रतिशत है, जो 2009-10 में 88.2 प्रतिशत था। यानी इसमें तेजी से गिरावट आई है। वैकल्पिक रूप से, ग्रामीण एमपीसीई का करीब 30% ऐसे कारकों पर निर्भर करता है, जो रूरल इकोसिस्टम से जुड़े हुए हैं। इनमें से ज्यादातर कारक केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के चलते हैं, जिनमें डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर), ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण में निवेश, किसानों को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदम हैं। ये सभी ग्रामीण आजीविका में काफी तेजी से सुधार कर रहे हैं।

जिन राज्यों को पिछड़ा समझा जाता था, उनमें सबसे ज्यादा सुधार

जिन राज्यों को कभी पिछड़ा माना जाता था, वे ग्रामीण और शहरी अंतर में अधिकतम सुधार दिखा रहे हैं। इनमें बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में उन कारकों का प्रभाव तेजी से दिख रहा है जो ग्रामीण क्षेत्रों के इकोसिस्टम के लिए जिम्मेदार हैं। घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (HCES) डेटा के ग्रामीण और शहरी गरीबी के आंकड़े बताते हैं कि किस तरह गरीबी में सुधार आया है।

2029-30 तक बना रहेगा गरीबी में गिरावट का ट्रेंड

ग्रामीण उपभोग के प्रतिशत के रूप में शहरी-ग्रामीण अंतर में गिरावट का ट्रेंड है। ये 2004-05 में 90.8% से घटकर 2022-23 में 71.2% हो गया है। SBI रिसर्च का मानना है कि 2029-30 में इसके और कम होकर 65.1% रहने का अनुमान है। SBI रिसर्च के मुताबिक, हमारा अनुमान है कि अप्रैल 2022 में मुद्रास्फीति मौजूदा 7.8% के मुकाबले 8% से ज्यादा हो सकती थी, जबकि जनवरी 24 में मुद्रास्फीति 5.1% के मुकाबले 4.8% रहेगी।

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