ओवर सब्सक्राइब IPO देख ललचा रहा मन तो रुकिए, समझें अंदर का गेम

सेबी ने ओवर सब्सक्राइब IPO को लेकर निवेशकों को आगाह किया है। MSME सेक्टर में कई कंपनियां लिस्टिंग के बाद फर्जी ग्रोथ दिखाकर शेयर के दामों में हेरफेर कर रही हैं। सेबी ने निवेशकों को सोशल मीडिया पोस्ट, टिप्स और अफवाहों से भी बचने की सलाह दी है।

बिजनेस डेस्क : ओवर सब्सक्राइब IPO देखकर अगर आपका मन भी ललचा रहा है तो सावधान हो जाइए। इसमें पैसा लगाने से पहले सौ बार सोचिए और किसी मार्केट एक्सपर्ट्स से सलाह जरूर लें। स्टॉक मार्केट रेगुलेटर स्टॉक एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने निवेशकों को ऐसे आईपीओ से सतर्क रहने को कहा है। बुधवार को बाजार नियामक सेबी ने निवेशकों को MSME सेक्टर में जालसाज प्रमोटरों की बढ़ती संख्या को लेकर अलर्ट रहने को कहा है। सेबी का कहना है कि कई ऐसी कंपनियां हैं, जिनके प्रमोटर्स निवेशकों को आकर्षित करने के लिए अपने कारोबार को लिस्टेड करने के बाद बढ़ा-चढ़ाकर ग्रोथ दिखा रहे हैं। ऐसी कंपनियां अवैध तरीकों से मार्केट में शेयर के दाम बढ़ा और घटा रही हैं। सेबी ने सोशल मीडिया पोस्ट, टिप्स और अफवाहों से भी बचने की सलाह दी है।

इस कंपनी के बाद बढ़ी सावधानी

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हाल ही में IPO लिस्टिंग का एक ऐसा ही मामला सामने आया। जहां दिल्ली में दो बाइक शोरूम चलाने वाली रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल कंपनी का आईपीओ आया। इस कंपनी में सिर्फ 8 कर्मचारी ही हैं और इसके आईपीओ का साइज सिर्फ 11.99 करोड़ था। कंपनी ने आईपीओ से 12,000 करोड़ रुपए जुटाने का प्लान बनाया लेकिन लिस्टिंग खत्म होने के आखिरी दिन यह 418 गुना ओवर सब्सक्राइब हो गया। इस खबर के बाद निवेशकों में हड़कंप मच गया।

क्या है सेबी की रिपोर्ट

सेबी ने एक प्रेस रिलीज में बताया कि 2012 में SME स्टॉक्स में ट्रेडिंग के लिए प्लेटफॉर्म लॉन्च किए जाने के बाद से 14 हजार करोड़ रुपए जुटाए लेकिन वित्त वर्ष 2024 में ही 6 हजार करोड़ रुपए जुटा लिए हैं। कुछ दिनों पहले ही NSE ने एसएमई के आईपीओ के लिए नियमों को और भी कड़ा कर दिया था। तब कहा गया था कि 1 सितंबर से सिर्फ पॉजिटिव फ्री कैश फ्लो वाली कंपनियां ही इसके प्लेटफॉर्म से लिस्टेड हो सकती हैं।

निवेशकों को किस तरह का नुकसान

मार्केट रेगुलेटर ने पाया है कि लिस्टिंग के बाद कुछ SME या उनके प्रमोटर्स अपने कारोबार को लेकर फेक डेटा का इस्तेमाल कर रहे हैं। आमतौर पर बोनस इश्यू, स्टॉक स्प्लिट और प्रिफ्रेंशियल अलॉटमेंट जैसे कार्पोरेट चीजें की जाती हैं। जिससे निवेशक कंपनी को लेकर पॉजिटिव सोच बना लेता है और स्टॉक खरीदने को आकर्षित होता है। इससे प्रमोटर्स को अपने शेयर हाई दाम पर बेचने का मौका मिलता है। सेबी ने हाल ही में डेबॉक इंडस्ट्रीज नाम के एक एसएमई और प्रमोटरों समेत तीन संस्थाओं के खिलाफ आदेश पारित किया है। ये कंपनी जून 2018 में NSE के SME प्लेटफॉर्म पर लिस्टेड हुई थी और मार्च 2022 में मुख्य बोर्ड में चली गई थी।

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