अनिल कुमार गोयल ने 41 साल की उम्र में शेयर बाजार में कदम रखा और आज 2300 करोड़ के मालिक हैं। 16 साल की उम्र से ही बिजनेस में सक्रिय गोयल ने स्टील कारोबार से शुरुआत की और फिर शेयर बाजार में अपनी पहचान बनाई।
बिजनेस डेस्क। शेयर मार्केट से पैसा बनाने की कोई उम्र नहीं है। इसमें 20-22 साल के युवा से लेकर 85 साल के बुजुर्ग भी अच्छी कमाई कर रहे हैं। इन्हीं में से एक इन्वेस्टर हैं अनिल कुमार गोयल, जिन्होंने 41 साल की उम्र में पहली बार शेयर मार्केट में कदम रखा। हालांकि, आज की तारीख में वो 2200 करोड़ के मालिक हैं। आखिर कैसे भारत के सुपर निवेशक बने अनिल गोयल, जानते हैं उनकी प्रेरणादायक कहानी।
अनिल कुमार गोयल ने 1968 में सिर्फ 16 साल की उम्र से ही बिजनेस के गुरू सीखने शुरू कर दिए थे। तब उन्होंने अपने दादा के स्टील कारोबार में हाथ बंटाना शुरू किया था। हालांकि, उन्हें शेयर बाजार में आने में 24 साल लग गए और उन्होंने 41 साल की उम्र में स्टॉक मार्केट में एंट्री ली, लेकिन स्टील बिजनेस के दौरान ही वो कम कीमत पर खरीदने और ज्यादा में बेचने की कला में माहिर हो चुके थे।
अनिल कुमार गोयल ने शेयर बाजार में एंट्री उस दौर में ली, जब दलाल स्ट्रीट में हर्षद मेहता का सिक्का चलता था। चूंकि उस वक्त हर्षद मेहता ने शेयरों में जमकर निवेश किया, जिससे शेयर मार्केट तेजी के रथ पर सवार था। हालांकि, गोयल को मार्केट की इस तेजी में कुछ शंका नजर आई। उन्होंने इसको लेकर अपने मैनेजर से बात की, जो खुद भी एक बड़ा इन्वेस्टर था। गोयल ने कहा- बाजार में जल्दी ही बहुत बड़ा करेक्शन आनेवाला है, इसलिए वो अपना पैसा सेफ कर ले, वरना बड़ा नुकसान हो सकता है।
हालांकि, गोयल के मैनेजर ने उनकी बात को बिल्कुल भी सीरियस नहीं लिया। कुछ ही महीनों में बाजार बुरी तरह टूट गया। मई, 1992 में शेयर मार्केट 4400 के लेवल से नीचे गिरते हुए 1800 अंकों पर पहुंच गया। तब जाकर मैनेजर को अहसास हुआ कि उन्होंने शेयर मार्केट को लेकर जो बात कही थी, वो सच साबित हुई है।
इसके बाद गोयल को शेयर बाजार में और इंट्रेस्ट जगा और उन्होंने अपने स्टील के बिजनेस को छोड़कर पूरा वक्त शेयर मार्केट में लगाने का फैसला किया। 1997 के आसपास गोयल ने ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट्स (GDRs) में इन्वेस्टमेंट किया, लेकिन उन्हें इसमें भारी घाटा झेलना पड़ा। हालांकि, नुकसान के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और आगे भी शेयर मार्केट में काम करना जारी रखा।
गोयल ने अपने स्टील के बिजनेस को छोड़कर कुछ जमीन बेच दी। इसके बाद उन्होंने पुरानी गलतियों से सबक लेते हुए शेयर बाजार में 5 लाख रुपए का निवेश किया। गोयल ने IT सेक्टर में बूम के बावजूद इन कंपनियों से दूरी बनाते हुए ऐसे शेयरों को चुना, जिनसे जुड़ी कंपनियां रोजमर्रा के काम में आने वाली चीजें बनाती थीं। उन्होंने सबसे ज्यादा फोकस शुगर और टेक्सटाइल्स शेयरों पर किया। शायद ही ऐसे निवेशक मिलें, जो चीनी स्टॉक्स में पैसे लगाकर अमीर बन जाते हों। गोयल खुद मानते हैं कि स्टील बैकग्राउंड से होने के बाद भी इस सेक्टर को लेकर उनके कई फैसले गलत साबित हुए हैं।
अनिल गोयल के मुताबिक, बाजार में पैसा लगाने से पहले अच्छी रिसर्च जरूरी है। उनके पोर्टफोलियों में सबसे ज्यादा संख्या शुगर स्टॉक्स की मिलेगी। 35-40 शेयरों वाले उनके पोर्टफोलियों में वो चुनिंदा 15-20 स्टॉक्स पर फोकस करते हैं और इसी से पैसा बनाते हैं। गोयल का मानना है कि दूसरों की सलाह लें, लेकिन अपनी समझ के बिना निवेश करने से बचें। वे तीन फॉर्मूला (Knowledge, Patience, Conviction) पर काम करते हैं और उनके हिसाब से इन्वेस्टमेंट में ज्ञान, धैर्य के साथ दृढ़ विश्वास होना बेहद जरूरी है।
गोयल के पोर्टफोलियो में शामिल शेयरों की बात करें तो धामपुर बायो ऑर्गेनिक्स, साउथ इंडियन पेपर मिल्स, टीसीपीएल पैकेजिंग, नाहर स्पिनिंग मिल्स, अवध शुगर, वर्धमान होल्डिंग्स, डालमिया भारत शुगर, अमरज्योति स्पिनिंग, उत्तम शुगर, श्री लक्ष्मी सरस्वती टेक्सटाइल, केआरबीएल, सैमटैक्स फैशन, स्पोर्टकिंग इंडिया, मगध शुगर, प्रिकॉट, धंसेरी टी, डीसीएम, केजी डेनिम, कर्नाटका बैंक, पनामा पेट्रोकैम, धामपुर शुगर, ओमेक्स लिमिटेड, द्वारकेश शुगर और मजेस्टिक ऑटो जैसे शेयर शामिल हैं। उनके पोर्टफोलियो में करीब 35 शेयर शामिल हैं, जिनकी कुल वैल्यूएशन करीब 2300 करोड़ रुपए है।
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