Stock Picks: IDBI बैंक के स्टॉक पर रखें नजर, जानें क्यों अचानक 5% उछला शेयर

विनिवेश प्रकिया के तहत सरकार IDBI bank में अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहती है। इस खबर के बाद से ही इसके शेयर में काफी तेजी देखी जा रही है। 18 जुलाई को स्टॉक में 5 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी दिखी। 

Ganesh Mishra | Published : Jul 18, 2024 2:14 PM IST

IDBI Bank Stock Price: पब्लिक सेक्टर से जुड़े IDBI बैंक का शेयर गुरुवार 18 जुलाई को 5% की तेजी के साथ बंद हुआ। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसमें अभी आगे और तेजी देखी जा सकती है। शेयर में अचानक आए इस उछाल के पीछे सबसे बड़ी वजह बैंक का प्राइवेटाइजेशन प्रॉसेस है। दरअसल, IDBI बैंक कई साल से सरकार की प्राइवेटाइजेशन लिस्ट में है। लेकिन अब IDBI बैंक के लिए बोली लगाने वालों को 'फिट एंड प्रॉपर' अप्रूवल भी मिल गया है। इससे IDBI बैंक में सरकार की ओर से अपनी हिस्सेदारी बेचने का रास्ता साफ हो गया है।

सरकार के पास IDBI Bank में कितनी हिस्सेदारी?

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बता दें कि सरकार के पास IDBI Bank में 45.5% की हिस्सेदारी है। इसके अलावा एलआईसी की इसमें 49% से ज्यादा हिस्सेदारी है। IDBI बैंक पहले एक वित्तीय संस्थान था, जो आगे चलकर बैंक बन गया। माना जा रहा है कि सरकार और LIC मिलकर बैंक में 60.7% हिस्सेदारी बेच सकते हैं। इसमें सरकार का हिस्सा 30.5% जबकि LIC का 30.2% रहेगा।

RBI के आकलन का इंतजार कर रही थी सरकार

बता दें कि सरकार ने मई 2021 में IDBI बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचने की शुरुआत की थी। तभी से सरकार बोली लगाने वालों के बारे में RBI के असेसमेंट का इंतजार कर रही थी कि वे सभी मापदंडों को पूरा करते हैं या नहीं, ताकि इसमें आगे बढ़ा जा सके। हालांकि, अब RBI ने बजट से ठीक पहले IDBI बैंक के लिए बोली लगाने वालों को 'फिट एंड प्रॉपर' अप्रूवल दे दिया है।

हिस्सेदारी बेचने पर सरकार को कितना पैसा मिलेगा?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार IDBI बैंक में हिस्सेदारी बेचती है तो उसे करीब 29000 करोड़ रुपए मिल सकते हैं। फिलहाल इस बैंक का कुल मार्केट कैप 99,137 करोड़ रुपए है। वहीं, शेयर की कीमत 92.20 रुपए है। शेयर का 52 वीक हाइएस्ट लेवल 98.70 रुपए जबकि लो लेवल 56.55 रुपए है।

2020 के बजट में बनी थी बैंको के प्राइवेटाइजेशन की योजना

बता दें, 2020 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीपीसीएल, कॉनकॉर, बीईएमएल, शिपिंग कॉर्पोरेशन, आईडीबीआई बैंक, दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के डिसइन्वेस्टमेंट की प्लानिंग की थी। हालांकि, पिछले डेढ-दो साल में इस दिशा में कुछ ज्यादा काम नहीं हुआ है। लोकसभा चुनाव के बाद इस पर काम होना था, लेकिन मनमाफिक नतीजे न आने के चलते अब तक योजना का क्रियान्वयन नहीं हुआ है।

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