एक बेटी के जन्म लेते ही एक पिता उसकी हर तरह की ज़िम्मेदारियों को लेकर चिंतित होने लगता है। लेकिन अगर बेटी के लिए सही समय पर वित्तीय योजना बनाई जाए तो कई समस्याएं दूर हो जाती हैं। बेटी के बड़े होने पर पैसे की कमी न हो, इसके लिए पहले से ही कुछ व्यवस्था कर लेनी चाहिए। बेटी के भविष्य को बेहतर बनाने के उद्देश्य से सरकार सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) चलाती है। यह सरकार द्वारा समर्थित योजना है। यह विशेष रूप से बच्चियों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
इस योजना में आप सालाना 250 रुपये से लेकर 1.5 लाख रुपये तक जमा कर सकते हैं। आपके निवेश के हिसाब से आपकी बेटी को पूंजी मिलती है। इस समय इस योजना में 8.2 प्रतिशत ब्याज दर मिल रही है। इस लंबी अवधि वाली योजना में आपको 15 साल तक निवेश करना होता है। यह योजना 21 साल में मैच्योर होती है। अगर आपकी बेटी की उम्र 10 साल से कम है तो आप बेटी के नाम पर सुकन्या अकाउंट खुलवाकर उसे 21 साल की उम्र तक 70 लाख रुपये की मालकिन बना सकते हैं।
अगर आप हर साल अपनी बेटी के सुकन्या समृद्धि खाते में 1.5 लाख रुपये जमा करते हैं, तो आपको निवेश के लिए हर महीने 12,500 रुपये बचाने होंगे। 15 साल में आप कुल 22,50,000 रुपये का निवेश करेंगे। इस समय इस योजना पर 8.2 फीसदी ब्याज मिल रहा है। 21 साल में मैच्योरिटी के समय आपको ब्याज के तौर पर कुल 46,77,578 रुपये मिलेंगे। मैच्योरिटी पर बेटी को ब्याज और निवेश की गई रकम समेत कुल 22,50,000 + 46,77,578 = 69,27,578 रुपये (करीब 70 लाख रुपये) मिलेंगे।
यह रकम निवेश की गई रकम से तीन गुना से भी ज्यादा है। ऐसे में अगर आप अपनी बेटी के जन्म के बाद से ही इस खाते में निवेश करना शुरू कर देते हैं तो 21 साल की उम्र में वह करीब 70 लाख रुपये की मालकिन बन जाएगी। वहीं, अगर आप इस योजना में अपनी बेटी के लिए सालाना 1,00,000 रुपये का निवेश करते हैं तो आपको हर महीने 8,334 रुपये का निवेश करना होगा। ऐसे में 15 साल में आपका कुल निवेश 15,00,000 रुपये होगा। 21 साल बाद आपको 31,18,385 रुपये मिलेंगे।
इस तरह निवेश की गई रकम और ब्याज की रकम को मिलाकर कुल 46,18,385 रुपये मिलेंगे। अगर आप साल 2024 में अपनी बेटी के नाम पर सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश करना शुरू करते हैं तो यह योजना 2045 में मैच्योर होगी, यानी साल 2024 तक आपको इस योजना का पूरा पैसा मिल जाएगा। सुकन्या समृद्धि योजना का सबसे बड़ा फायदा यह है कि निवेशक आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी के तहत टैक्स में बचत कर सकते हैं।