सुप्रीम कोर्ट ने अडानी केस में जांच के लिए एक्सपर्ट्स के नाम सीलबंद लिफाफा में लेने से किया इनकार, सीजेआई बोले-पूरी ट्रांसपेरेंसी बरती जाएगी

बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार के सुझाए नामों को गोपनीय तरीके से लिफाफा में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। कोर्ट इस मामले में पूरी पारदर्शिता बरतना चाहती है।

Dheerendra Gopal | Published : Feb 17, 2023 10:56 AM IST / Updated: Feb 17 2023, 04:44 PM IST

Adani share crash: अडानी शेयर स्टॉक्स क्रैश की जांच के लिए एक्सपर्ट्स के नाम को सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट ने लेने से इनकार कर दिया है। केंद्र सरकार एक्सपर्ट्स के नाम बंद लिफाफा में देना चाहती थी। सुनवाई कर रही सीजेआई की बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार के सुझाए नामों को गोपनीय तरीके से लिफाफा में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। कोर्ट इस मामले में पूरी पारदर्शिता बरतना चाहती है।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि हम कोई सीलबंद कवर नहीं चाहते हैं। हम पूरी पारदर्शिता चाहते हैं। अगर हम इन सुझावों को स्वीकार करते हैं तो इसे सरकार द्वारा नियुक्त समिति के रूप में देखा जाएगा जो हम नहीं चाहते। फैसला हम पर छोड़ दें।

सरकार चाहती है एक्सपर्ट्स के नाम बंद लिफाफा में देना

भारतीय निवेशकों के हितों की रक्षा को लेकर चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने 10 फरवरी को अडानी समूह के स्टॉक क्रैश की जांच के लिए एक विशेषज्ञ पैनल बनाने संबंधी सुनवाई के लिए केंद्र सरकार व सेबी को नोटिस किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इन्वेस्टर्स के हितों की रक्षा के लिए पैनल गठन के लिए सुझाव मांगा था। कोर्ट ने केंद्र सरकार और बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के विचार मांगे थे। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ वाली बेंच ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को सेबी के अधिकारियों को यह बताने के लिए कहा कि बाजार में निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए रेगुलेटरी सिस्टम को मजबूत बनाने सहित विभिन्न मुद्दों पर वित्त मंत्रालय और अन्य अपनी राय दें।

13 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट को केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि पैनल गठन पर केंद्र सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि, केंद्र सरकार ने चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले बेंच से कहा कि वह समिति के लिए स्पेशलिस्ट के नाम एक सीलबंद कवर में देना चाहती है।

दरअसल, अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह के खिलाफ धोखाधड़ी लेनदेन, मनी लॉन्ड्रिंग और शेयर-कीमत में हेरफेर सहित कई आरोपों के बाद अडानी समूह के शेयर बुरी तरह गिरे हैं। इससे शेयर मार्केट हिल गया है। हालांकि, अडानी समूह ने आरोपों को झूठ कहकर खारिज कर दिया है।

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