कोविड के बाद से अधिकांश कंपनियां अपने कर्मचारियों को डेस्कटॉप की जगह लैपटॉप देना पसंद कर रही हैं। इसका उद्देश्य यह है कि अगर किसी कारणवश घर से काम करना पड़े तो कर्मचारी को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। अगर कोई कर्मचारी नौकरी छोड़ता है तो उसे कंपनी का लैपटॉप वापस करना होता है। लेकिन क्या हो अगर कंपनी नौकरी छोड़ने वाले कर्मचारी को पैसे देकर लैपटॉप खरीदने के लिए मजबूर करे...?
ऐसा ही एक मामला सोशल मीडिया पर सामने आया है, जहां टाटा पावर कंपनी छोड़ने जा रहे एक कर्मचारी ने अपना अनुभव साझा किया है। सोशल मीडिया पोस्ट में कर्मचारी ने बताया कि कंपनी उसे लैपटॉप खरीदने के लिए मजबूर कर रही है और इसके लिए 65,000 रुपये की मांग कर रही है। अपना नाम गुप्त रखते हुए कर्मचारी ने बताया कि एक साल पहले जब उसने नौकरी जॉइन की थी तो ऐसी कोई शर्त नहीं थी, लेकिन छह महीने पहले कंपनी ने ऐसा सर्कुलर जारी किया।
कर्मचारी ने यह भी बताया कि अगर उसने लैपटॉप नहीं खरीदा तो कंपनी उसे एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट नहीं देगी। कर्मचारी ने बताया कि वह कुछ महीनों में टाटा पावर से नौकरी छोड़ देगा और उसने पूछा कि कंपनी के खिलाफ क्या कानूनी कारवाई की जा सकती है। एक वकील ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसी भी कंपनी को आधिकारिक लैपटॉप खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है और टाटा जैसी कंपनी के लिए यह अजीब और अविश्वसनीय है। वकील ने यह भी कहा कि टाटा पावर के मानव संसाधन विभाग को इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देनी चाहिए।