Ayushman Bharat Yojana: फर्जी आयुष्मान कार्ड बनवाने वालों की अब खैर नहीं, सरकार उठाने जा रही एक बड़ा कदम

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक आयुष्मान भारत योजना के तहत हाल ही में कुछ फर्जीवाड़े सामने आए हैं। इनमें एक ही आधार नंबर पर दो आयुष्मान कार्ड बने हैं। ऐसे में अब इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए सरकार ने कमर कस ली है।

Ganesh Mishra | Published : Aug 10, 2023 4:59 PM IST

Ayushman Bharat Yojana: भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक आयुष्मान भारत योजना के तहत हाल ही में कुछ फर्जीवाड़े सामने आए हैं। इनमें एक ही आधार नंबर पर दो आयुष्मान कार्ड बने हैं। ऐसे में अब इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए सरकार ने कमर कस ली है। सरकार अब इस स्कीम में होने वाले फर्जीवाड़े को पकड़ने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) तकनीक का इस्तेमाल करेगी। ऐसे में अब फर्जी आयुष्मान कार्ड बनवाने वालों की खैर नहीं है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस करेगा फर्जी कार्ड की पहचान

बता दें कि भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) में कई फर्जीवाड़े हुए हैं। इसमें करीब 7.5 लाख लाभार्थी एक जैसे मोाबइल नंबर पर रजिस्टर्ड हैं। ये फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद अब सरकार ने इसे पकड़ने के लिए AI का इस्तेमाल करने का फैसला किया है।

क्या है आयुष्मान भारत योजना?

आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Yojna) की शुरुआत 2018 में हुई थी। इस योजना का उद्देश्य देश के गरीब और आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराना है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री एसपी बघेल के मुताबिक, 1 अगस्त 2023 तक आयुष्मान भारत योजना के तहत कुल 24.33 करोड़ आयुष्मान कार्ड बन चुके हैं।

गरीब लोगों को सालाना 5 लाख तक बीमा कवर

बता दें कि आयुष्मान भारत योजना के तहत देश के गरीब लोगों को सालाना 5 लाख रुपए का बीमा कवर मिलता है। यानी उनका 5 लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त किया जाता है। आयुष्मान भारत योजना की मदद से उन लोगों को फायदा मिलता है, जो आर्थिक रूप से कमजोर होने के चलते स्वास्थ्य समस्याओं पर आने वाला खर्च नहीं उठा सकते हैं। इस योजना में आदिवासी, बेघर, निराश्रित, दान या भिक्षा मांगने वाला व्यक्ति और मजदूर कोई भी लाभ उठा सकता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस योजना के कुल लाभार्थियों में से 49 प्रतिशत महिलाएं हैं।

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