4 सेक्टर जिनमें ओवरऑल मार्केट की तुलना में तेज रिकवरी की संभावना: देवेंद्र सिंघल

Published : Apr 08, 2025, 12:41 PM IST
devender singhal kotak mahindra amc

सार

ट्रंप के टैरिफ का असर दुनियाभर के बाजारों के साथ ही भारत पर भी पड़ेगा। हालांकि, भारत के लिए अच्छी बात ये है कि उसे अमेरिका से बेहतर व्यापार शर्तों की उम्मीद है। वित्तीय सेवाएं, हेल्थकेयर, टेलीकॉम और विवेकाधीन खपत में तेज रिकवरी की संभावना है। 

Trump Tariff Impact on India: कोटक महिंद्रा एएमसी के इक्विटी फंड मैनेजर देवेंद्र सिंघल का कहना है कि अगर भारत बातचीत के जरिए बेहतर व्यापार शर्तें हासिल कर लेता है, तो भारतीय उद्योगों के लिए अपने ग्लोबल एक्सपोर्ट शेयर को बढ़ाने की संभावना है, खास तौर पर अमेरिकी बाजारों में। हाई अर्निंग ग्रोथ की संभावना वाले प्रमुख क्षेत्रों में डाइवर्सिफाइड फाइनेंशियल सर्विसेज, हेल्थकेयर सर्विसेज, टेलिकॉम सर्विसेज और डिस्क्रिशनरी कंजम्प्शन (विवेकाधीन खपत) शामिल हैं। इन चारों सेक्टर्स में ओवरऑल मार्केट की तुलना में ज्यादा तेजी से सुधार और कम गिरावट देखने को मिल सकती है।

सवाल: पिछले 20 सालों की बात करें तो 2008 और 2020 में हमने बड़ी गिरावट देखी है, हालांकि इसके कारण काफी अलग थे। हालांकि, साफ तस्वीर यह है कि इन गिरावटों के बाद, ग्लोबल मार्केट में और भी मजबूत रिकवरी हुई। लेकिन आप ताजा गिरावट को कैसे देख रहे हैं? क्या यह पूरी तरह से अलग मामला है या आपको लगता है कि कुछ और गिरावट से और भी बेहतर विकास के अच्छे मिलेंगे?

देवेंद्र सिंघल: जब आप बाजारों की लॉन्गर टर्म जर्नी को देखते हैं, तो सभी गिरावटें आपके पोर्टफोलियो में अच्छी गुणवत्ता वाले नामों, अच्छी अर्निंग ग्रोथ को जोड़ने और पैसा बनाने के लंबे समय तक चलने वाले लक्ष्यों की ओर अपने पोर्टफोलियो को फिर से जोड़ने का एक अच्छा अवसर लगती हैं। मुझे नहीं लगता कि इस बार कुछ अलग है। एकमात्र बात यह है कि आज हमारे भारतीय बाजार जिस तरह से रिस्पांस कर रहे हैं, हम उम्मीद कर रहे हैं कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार की बेहतर शर्तें हासिल करने में सक्षम होगा और अगले कुछ महीनों में हमारे पक्ष में बहुत कुछ अच्छा होगा।

अमेरिका से बेहतर व्यापार शर्तें मिलने की उम्मीद

यह भी माना जा रहा है कि हम दुनिया भर की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में होंगे। आप देख सकते हैं कि गिरावट के मामले में हमारे बाजार कहां हैं और दूसरे उभरते बाजार आज और पिछले कुछ दिनों में कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं। इसलिए, अभी भी काफी हद तक उम्मीदें कायम हैं। आशा है कि हमें अमेरिका से बेहतर व्यापार शर्तें मिलेंगी और हम यही उम्मीद भी कर रहे हैं। अगर आप इसे उस संदर्भ में देखें तो ये भारतीय बाजारों और वहां की अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत और लंबे विकास की यात्रा का रास्ता तय करेगा। हां, हम चाहते हैं कि निवेशक इसे रचनात्मक रूप से देखें, लेकिन अगले कुछ महीनों में अस्थिरता काफी अधिक रहेगी जब तक कि ये मामाल सुलझ नहीं जाता।

सवाल: तुलनात्मक रूप से भारत बाकी दुनिया की तुलना में बेहतर स्थिति में है। वास्तव में जब द्विपक्षीय वार्ता होगी तो इस बात की संभावना है कि भारत को देखते हुए दरें कम हो सकती हैं। हालांकि, इसमें कम से कम दो से तीन महीने लगेंगे। जब धूल छंट जाएंगी तो आप किस समूह को आगे बढ़ते हुए देखते हैं?

देवेंद्र सिंघल: आपको इंतजार करना होगा और देखना होगा कि जमी धूल हटने के बाद कौन-सा क्षेत्र आगे बढ़ता है। इस समय, हम बैंकों को लेकर पॉजिटिव हैं, लेकिन थोड़े अंडरवेट हैं। हमें डर था कि NIM प्रेशर के कारण इस क्षेत्र के लिए इनकम ग्रोथ थोड़ी कम हो सकती है। लेकिन अगर आप फाइनेंशियल सर्विसेज या डाइवर्सिफाइड फाइनेंशियल सर्विसेज को देखें, तो इस समय बैंकों की तुलना में विजिबिलिटी थोड़ी बेहतर है। ऐसे में कुछ कंस्ट्रक्टिव इन्वेस्टमेंट हो सकते हैं जो निवेशक बाजार के दूसरी तरफ कर सकते हैं।

सवाल: आप कंजम्प्शन बास्केट को बहुत बारीकी से ट्रैक करते हैं और ये कुल मिलाकर एक डाइवर्सिफाइड बास्केट है, फिर चाहे वो ऑटो हो या फार्मा । ये देखते हुए कि इनमें से बहुत से सेक्टर ग्लोबली जुड़े हुए हैं, खासकर फार्मा और ऑटो। इस समय आप अपने पोर्टफोलियो में किस तरह का रीएडजस्टमेंट करना चाहते हैं?

देवेंद्र सिंघल: कुल मिलाकर, इन क्षेत्रों में बहुत बड़े वैश्विक संबंध हैं। सौभाग्य से हमारे पोर्टफोलियो में ऐसे नाम हैं, जो घरेलू रूप से ज्यादा डिपेंडेंट हैं और विशेष रूप से बिजनेस के विवेकाधीन पक्ष पर बाहरी के बजाय काफी हद तक अंदर की ओर फोकस्ड हैं। लेकिन हां, ऑटो भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग का एक बहुत बड़ा घटक है और इसका ग्लोबल लेवल पर बहुत बड़ा संबंध है। अगर दुनिया में मंदी आती है, तो ये क्षेत्र अछूता नहीं रहेगा।

सवाल: लोग खपत में सुधार के बारे में बात कर रहे हैं। 1 अप्रैल से Tax रिलीफ लागू हो गया है और हम बेहतर इनकम की उम्मीद कर रहे हैं। उम्मीद है कि कंजम्प्शन में तेजी आनी शुरू हो जाएगी। लेकिन जब टैरिफ का खतरा होता है, तो महंगाई बढ़ने की संभावना होती है। ग्लोबल लेवल पर अमेरिका में महंगाई का मतलब भारत के लिए भी बुरी खबर होगी। आप कंजम्प्शन थीम को कैसे देखते हैं?

देवेंद्र सिंघल: दोनों देशों में कंजम्प्शन बास्केट काफी अलग है। अमेरिका में महंगाई के लिए जो कारण है, वह भारत में वास्तविक स्थिति नहीं हो सकती है। उदाहरण के लिए, हम ऊर्जा पर बहुत ज्यादा डिपेंड हैं। इसकी कीमतें जिस तरह से कम हो रही हैं, ये वास्तव में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए अच्छी खबर है। इसलिए, आप अब कंजम्प्शन के मामले में बाजार में काफी हद तक वापसी और बेहतर गुणवत्ता वाली खपत होते हुए देखेंगे। लेकिन आप कंजम्पशन के डिस्क्रिशनरी साइड पर ज्यादा फोकस करेंगे, न कि मेन साइड पर। और हमारा ध्यान उसी पर है। हमें लगता है कि ये ओवरऑल कंजम्प्शन बास्केट से थोड़ा बेहतर होगा। अगर महंगाई आती है तो ग्लोबल और इंडियन इन्फ्लेशन फैक्टर्स दोनों ही काफी अलग हैं। अगर फूड बास्केट नीचे आता है, तो ये हमारे लिए अच्छा है।

PREV

Recommended Stories

Simone Tata Dies: रतन टाटा की सौतेली मां, लैक्मे फाउंडर सिमोन टाटा का निधन
IndiGo क्राइसिस से फ्लाइट किराया बेकाबू: दिल्ली-मुंबई ₹50,000, कोलकाता-गुवाहाटी 1 लाख पार