Railway Budget 2023: जानें कब और क्यों खत्म हो गई अलग रेल बजट पेश करने की प्रथा, 1924 में हुई थी शुरुआत

अलग रेल बजट पेश करने की प्रथा 1924 में शुरू हुई थी। इसे 2017 में नीति आयोग की सिफारिश पर खत्म किया गया था। नीतीश कुमार ने फिर से अलग रेल बजट पेश करने की मांग की है।

नई दिल्ली। एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में अपना 5वां बजट पेश करेंगी। इसी दौरान वह रेलवे का बजट (Railway Budget 2023) भी पेश करेंगी। पहले ऐसा नहीं होता था। पहले रेलवे बजट को अलग पेश किया जाता था। 1924 में आम बजट से पहले एक अलग रेल बजट पेश करने की प्रथा शुरू हुई थी। इसे 2017 में समाप्त कर दिया गया था। 2017 में पहली बार आम बजट के साथ रेल बजट पेश किया गया। इसके बाद से यह सिलसिला जारी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले की तरह रेल बजट को अलग से पेश करने की मांग की है।

नीति आयोग ने की थी सिफारिश
दरअसल, नीति आयोग ने केंद्र सरकार से एक अलग रेल बजट की प्रथा समाप्त करने की सिफारिश की थी। तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु को यह सिफारिश मिली थी। मंत्री ने सिफारिश को स्वीकार करते हुए रेलवे और केंद्रीय बजट को संयोजित करने के लिए उस समय के वित्त मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली को पत्र लिखकर अनुरोध किया था। 2016 में अरुण जेटली ने राज्यसभा में इसकी जानकारी दी थी और दो बजटों के एकीकरण की योजना बनाने के लिए एक विशेष समिति बनाई गई थी। समिति की योजना के अनुसार 2017 से आम बजट में ही रेलवे बजट को भी पेश किया जाता है।

Latest Videos

यह भी पढ़ें- Rail Budget 2023: रेलवे के बुनियादी ढांचे के विकास और यात्री सुविधाओं को लेकर वित्त मंत्री कर सकती हैं बड़ी घोषणाएं

भारत के गुलामी के दिनों में ब्रिटिश सरकार ने अलग रेल बजट पेश करना अनिवार्य किया था। एकवर्थ समिति की सिफारिशों के आधार पर ब्रिटिश सरकार की औपनिवेशिक युग की नीति बनाई गई थी। इसके अनुसार अलग से रेल बजट पेश किया जाता था। 1924 में जब पहला रेल बजट प्रकाशित हुआ था तब इसमें भारत द्वारा अन्य सभी प्रशासनिक घटकों पर खर्च किए गए पैसे की तुलना में अधिक धन दिए गए थे।

यह भी पढ़ें- Budget 2023: होमलोन वालों को बजट से हैं बड़ी उम्मीदें, टैक्स कटौती समेत निर्मला सीतारमण से चाहते हैं ये सौगात

अलग रेल बजट ने विदेशी निवेश (विशेष रूप से भारतीय रेलवे में ब्रिटिश निवेश) को सुरक्षित रखने के लिए एक हथियार के रूप में काम किया। आर्थिक रूप से बदहाल रेलवे को भारत सरकार से हर साल 10 हजार करोड़ रुपए बजटीय सहायता दी जाती थी। इसके बाद भी रेलवे को भारत सरकार को वार्षिक लाभांश का भुगतान करने की जरूरत नहीं थी।

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

जेल से बाहर क्यों है Adani? Rahul Gandhi ने सवाल का दे दिया जवाब #Shorts
'गौतम अडानी गिरफ्तार हों' Rahul Gandhi ने PM Modi पर लगाया एक और बड़ा आरोप
कानूनी प्रक्रिया: अमेरिकी न्याय विभाग से गिरफ्तारी का वारंट, अब अडानी केस में आगे क्या होगा?
Google CEO सुंदर पिचाई ने Donald Trump को किया फोन, बीच में शामिल हो गए Elon Musk और फिर...
Rescue Video: आफत में फंसे भालू के लिए देवदूत बने जवान, दिल को छू जाएगा यह वीडियो