माहवारी की झिझक को कॉमिक्स के जरिए समझाती हैं लड़कियां, इस स्टार्टअप से अदिति गुप्ता ने भारत की टॉप-100 ताकतवर महिलाओं में बनाई जगह

भारतीय परिवारों में पीरियड्स को लेकर कई घोषित-अघोषित नियम बने हुए हैं। पहली बार जब किसी लड़की को पीरियड्स आते हैं, उसे पता भी नहीं होता है कि आखिर यह क्या है।

 

Aditi Gupta Startup. भारतीय परिवारों में अभी भी पीरियड्स एक तरह से टैबू बना हुआ है। इसके बारे कोई खुलकर बात नहीं करता। लड़कियों की समस्या तब और बढ़ जाती है, जब वे सिंगल पैरेंटिंग के बीच पलती-बढ़ती हैं। वहीं ज्यादातर परिवारों में बेटी को पीरियड्स की जानकारी देने की जिम्मेदारी मां पर या घर की सबसे बुजुर्ग महिला पर होती है। कई परिवारों में तो इतने सख्त कानून लागू होते हैं कि लड़कियां पीरियड्स को बोझ समझने लगती हैं और इसे एक समस्या या बीमारी की तरह ट्रीट करने लगती हैं। लेकिन अदिति गुप्ता नाम की एक लड़की इन पुरानी वर्जनाओं को तोड़ दिया है, आइए जानते हैं कैसे।

कौन हैं मेंस्ट्रूपीडिया कॉमिक्स की फाउंडर अदिति गुप्ता

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झारखंड के गढ़वा में एक साधारण परिवार में जन्मीं अदिति गुप्ता को पीरियड्स के दौरान टोका टाकी बिलकुल भी पसंद नहीं है। अदिति ने हिंदुस्तान कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की है। उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन अहमदाबाद से न्यू मीडिया डिजाइन का कोर्स किया है। इनके पिता एडवोकेट हैं और मां हिंदी की प्रोफेसर हैं। बीबीसी की तरफ से भारत की 100 ताकतवर महिलाओं में अदिति गुप्ता शुमार हैं और फोर्ब्स इंडिया अंडर 30 का खिताब उन्होंने 2014 में ही जीता था।

12 साल की उम्र में आया पीरियड, 12वीं के बाद देखा सेनेटरी पैड

अदिति गुप्ता को 12 साल की उम्र में पीरियड्स आने शुरू हो गए थे। तब मिडिल क्लास फैमिली के सारे रूल्स उन्हें भी मानने पड़े लेकिन वे हमेशा टोका टोकी के खिलाफ ही रहीं। अदिति बताती हैं कि पीरियड्स के वे 7 दिन उनके लिए दुखभरी कहानी बन जाते थे क्योंकि न नहाना, न पूजाघर या किचन में जाना, यहां तक कि अचार खाना भी मना हो जाता था। उन्हें पीरियड्स में इस्तेमाल चादर खुद ही धोने पड़ते थे लेकिन सैनिटरी पैड की इजाजत नहीं थी। 12वीं क्लास के बाद उन्होंने पहली बार सैनेटरी पैड देखा। अदिति को लगा कि सिर्फ झिझक और शर्म की वजह से कोई सैनिटरी पैड नहीं खरीदता था और उन्हें यह बात कचोटती थी।

कैसे हुई मेंस्ट्रूपीडिया कॉमिक्स की शुरूआत

न्यू मीडिया डिजाइन कोर्स के दौरान ही उनकी मुलाकात तुहिन से हुई, जिनसे अदिति ने बाद में शादी की। तुहिन को पीरियड्स के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं और अदिति ने उनसे अपने अनुभव शेयर किए। फिर दोनों ने मिलकर रिसर्च शुरू किया और प्रोजेक्ट पीरियड पर काम चालू कर दिया। तमाम रिसर्च के बाद पता चला कि पीरियड्स को लेकर माता-पिता बच्चों से बात करने में झिझकते हैं, टीचर्स भी झिझकते हैं। तब उन्होंने पीरियड्स से जुड़ी जानकारियां कॉमिक्स के माध्यम से देना का आइडिया इजाद किया। कई लोगों से बातचीत और रिसर्च के बाद कॉमिक बुक का आइडिया आया ताकि कोई लड़की इसे पढ़कर पीरियड्स के बारे में सबकुछ जान और समझ सके।

कॉमिक्स की किरदार चार लड़कियां कौन हैं

अदिति गुप्ता की कॉमिक्स के चार किरदार है, जिनके नाम प्रिया, पिंकी, जिया और मीरा हैं। यह चार कैरेक्टर ही पीरियड्स के बारे में बात करते हैं। इसमें यह बताया जाता है पीरियड्स में क्या करना चाहिए, कब पैड बदलना चाहिए, क्या एक्सरसाइज करें, यूटीआई से कैसे बचें, कौन सी दवा ले सकते हैं आदि। उन्होंने एक वेबसाइट बनाई और सारे सवालों के जवाब आंसर फोरम में देना शुरू किया, जहां सवालों की झड़ी लग गई। उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी फंड की थी क्योंकि इस टॉपिक पर कॉमिक्स चलेगी या नहीं यह बड़ा सवाल था। 2013 में अदिति ने क्राउड फंडिंग से 5 लाख रुपए से ज्यादा जमा किए। मेंस्ट्रूपीडिया कॉमिक्स आज देशभर में उपलब्ध है। यह दुनिया की 17 भाषाओं में प्रकाशित हो चुका है और देश के 25 हजार स्कूलों में पढ़ाया जाता है।

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