केंद्र सरकार की ओर से 2021 का गांधी शांति पुरस्कार (Gandhi Peace Prize) गोरखपुर की प्रसिद्ध गीता प्रेस को देने की घोषणा की गई है। बता दें कि गीता प्रेस की स्थापना जयदयाल गोयंदका ने 100 साल पहले 1923 में की थी।
Who is the Founder of Gita Press: केंद्र सरकार की ओर से 2021 का गांधी शांति पुरस्कार (Gandhi Peace Prize) गोरखपुर की प्रसिद्ध गीता प्रेस को देने की घोषणा की गई है। बता दें कि गीता प्रेस की स्थापना जयदयाल गोयंदका (Jay Dayal Goyndka) ने 1923 में की थी। जयदयाल गोयंदका का जन्म साल 1885 में राजस्थान के चूरू में हुआ था। वे बचपन से ही गीता और रामचरितमानस से बेहद प्रभावित थे। बाद में वे अपने परिवार के साथ बिजनेस के लिए बांकुड़ा (पश्चिम बंगाल) चले गए। इन्होंने ही कोलकाता में 'गोविंद भवन' और गोरखपुर में गीता प्रेस की स्थापना की। 17 अप्रैल, 1965 को ऋषिकेश में गंगा किनारे जयदयाल गोयंदका ने अपना शरीर त्याग दिया था।
कैसे आया गीता प्रेस खोलने का विचार?
जयदयाल गोयंदका बेहद धार्मिक प्रवृत्ति के थे। वे भगवद्गीता पर प्रवचन करते थे। भगवद्गीता के प्रचार के दौरान उन्हें लगा कि आज के समय में गीता की शुद्ध प्रतियां मिलना बेहद कठिन है। इसके बाद ही उनके मन में गीता को शुद्ध भाषा में प्रकाशित करने का विचार आया। उन्होंने 1923 में गोरखपुर में गीता प्रेस की स्थापना की।
गोयंदका के मौसेरे भाई ने दिया साथ
गीता प्रेस की स्थापना के बाद जयदयाल गोयंदका के मौसेरे भाई हनुमान प्रसाद पोद्दार भी उनसे जुड़ गए और समर्पित भाव से गीता प्रेस के लिए काम करने लगे। वर्तमान में गीता प्रेस का हेडऑफिस कोलकाता स्थित 'गीता भवन' में है, जो कि एक रजिस्टर्ड सोसायटी है।
गीता की 11 करोड़ से ज्यादा प्रतियां प्रकाशित हुईं
गीता प्रेस द्वारा मुख्य रूप से हिंदी और संस्कृत भाषा में साहित्य प्रकाशित किया जाता था। हालांकि, बाद में तमिल, तेलुगु, मराठी, कन्नड़, बांग्ला, गुजराती, असमिया, गुरुमुखी, नेपाली तथा उड़िया समेत 15 भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित होने लगीं। गीता प्रेस से श्रीमद्भगवद्गीता की 11.42 करोड़ प्रतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अलावा श्रीरामचरितमानस की 9.22 करोड़, पुराण-उपनिषद जैसे ग्रंथों की 1.90 करोड़ प्रतियां प्रकाशित हो चुकी हैं।
गीता प्रेस की खासियत
गीता प्रेस सरकार या किसी भी अन्य व्यक्ति या संस्था से किसी भी तरह का कोई अनुदान (Grant) नहीं लेता है। गीता प्रेस में हर दिन करीब 50 हजार से ज्यादा पुस्तकें छपती हैं। गीता प्रेस अपनी पुस्तकों में किसी भी जीवित व्यक्ति का फोटो नहीं छापता है और न किसी तरह का कोई विज्ञापन प्रकाशित करता है। गीता प्रेस का संचालन कोलकाता स्थित 'गोविंद भवन' से होता है।
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