Share Market Crash: तेहरान में धमाके, मुंबई में हाहाकार, ये 5 वजहें बन गईं स्टॉक मार्केट में तबाही का कारण

Published : Jun 13, 2025, 09:51 AM IST
Share Market Crash

सार

Share Market Today: 13 जून को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई। सेंसेक्स करीब 800 अंक लुढ़क गया और निफ्टी में भी 250 अंक की गिरावट रही। इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह इजराइल-ईरान युद्ध का तनाव है।

Stock Market Down Reasons : हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को शेयर बाजार की सुबह काले बादलों जैसी रही। आज 13 जून को सेंसेक्स में करीब 800 अंकों की गिरावट दर्ज की गई, जो 80,900 के करीब लुढ़क गया। वहीं, निफ्टी भी 250 अंक गिरकर 24,600 के आसपास कारोबार करता नजर आया। इतना ही नहीं, सेंसेक्स के सभी 30 शेयरों में गिरावट देखने को मिली। इसका सबसे बड़ा कारण इजराइल-ईरान का तनाव माना जा रहा है। लेकिन कुछ वजहें और हैं, जिनकी वजह से स्टॉक मार्केट डगमगा गया है। आइए जानते हैं वो 5 बड़ी वजहें, जिन्होंने बाजार को नीचे गिरा दिया...

1. Israel Iran वॉर की गर्मी

मिडल ईस्ट एक बार फिर जंग के मुहाने पर खड़ा है। ईरान की राजधानी तेहरान के पास इजराइली एयरस्ट्राइक, IRGC चीफ और परमाणु वैज्ञानिकों की मौत ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स को डरा दिया है। इस टेंशन ने तेल की कीमतें और अस्थिरता दोनों को बढ़ा दिया है, जिससे बाजार की सांसें अटक गईं।

2. एशियाई बाजारों में गिरावट का दबाव

जापान का निक्केई 507 अंक गिर गया, कोरिया का कोस्पी और हॉन्गकॉन्ग का हैंगसेंग इंडेक्स भी लाल निशान में हैं। चीन का शंघाई कंपोजिट भी 24 अंक टूट गया। एशिया के कमजोर संकेतों का असर भारतीय बाजार पर सीधा पड़ा।

3. क्रूड और गोल्ड के दाम में उछाल

तेल की कीमतों में 7% की तेज़ी ने इनफ्लेशन और कॉस्ट बढ़ने का डर पैदा कर दिया है। वहीं सोना 50 डॉलर उछलकर 3450 के ऊपर पहुंच गया है, ये दिखाता है कि इन्वेस्टर्स अब इक्विटी छोड़कर सेफ हेवन्स की तरफ भाग रहे हैं।

4. डॉलर इंडेक्स और ग्लोबल संकेत

डॉलर इंडेक्स 4 साल के निचले स्तर 98 से नीचे पहुंच गया है। इससे ग्लोबल करेंसी मार्केट में अनिश्चितता और वॉलेटिलिटी बढ़ी है, जो भारतीय मार्केट के लिए भी दबाव बनाती है।

5. भारी FII बिकवाली, DIIs खरीद में

विदेशी निवेशकों (FIIs) ने ₹12,150 करोड़ की बिकवाली कर दी। हालांकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने खरीदारी की, लेकिन वो दबाव कम नहीं कर सके। रिटेल महंगाई भले ही 6 साल के न्यूनतम 2.82% पर हो, लेकिन विदेशी पैसे का बाहर जाना बाजार को घुटनों पर ले आया।

 

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