इंश्योरेंस फॉर्म भरते समय हमें कई बातों का ख्याल रखना होता है। इसमें जरा सी चूक से क्लेम में मिलने वाली रकम से वंचित रह सकते हैं। ऐसे में प्रपोजल फॉर्म को सावधानी से भरना जरूरी है। इसमें सही जानकारी न होने से बीमा कंपनी आपका क्लेम खारिज कर सकती है।
बिजनेस डेस्क. बीते कुछ सालों में कई तरह की बीमारियां हमारे सामने आई हैं। साथ ही इनके इलाज भी काफी महंगे है, जिसके लिए कई लोग हेल्थ इंश्योरेंस खरीद रहे है। लेकिन इसका फायदा उठाते समय बीमा कंपनियां क्लेम को खारिज कर देते हैं। इसका कारण आमतौर पर ये होता है कि लोग अपनी बीमारी (PED) का खुलासा नहीं करते हैं। इसके लिए प्रपोजल फॉर्म भरना जरूरी होता है। अगर इंश्योरेंस होल्डर इसे नहीं भर पाता है, तो बीमा कंपनी क्लेम को खारिज कर सकती है। इसलिए बीमा लेते वक्त इस फॉर्म को भरना बेहद जरूरी है।
जानें क्या है प्रपोजल फॉर्म
अगर कोई व्यक्ति हेल्थ इंश्योरेंस खरीदता है, तब कंपनी बीमा कंपनी प्रपोजल फॉर्म भरवाती है। इसमें इंश्योरेंस होल्डर की जीवनशैली से जुड़े कई सवाल पूछे जाते है। इसमें अगर बीमा धारक को पहले से कोई बीमारी हो तो उसकी डिटेल्स मांगी जाती है। इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (IRDA) के नियमों के मुताबिक, प्रपोजल फॉर्म में हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने से 36 महीने पहले तक बीमारियां और चोटों की जानकारी देनी होती है। इसमें हाई ब्लड प्रेशर, अस्थमा, थायराइड और डायबिटीज जैसी बीमारियां शामिल हैं।
इस स्थिति में खारिज कर सकती है क्लेम
एक्सपर्ट्स का मानना है कि स्वास्थ्य बीमा खरीदते वक्त पहले से हुई बीमारियों की जानकारी देना जरूरी है। अगर उन्हें छिपाया जाता है, तो इंश्योरेंस होल्डर्स को नुकसान हो सकता है। साथ ही उनका क्लेम खारिज हो सकता है। इसलिए प्रपोजल फॉर्म में ये जानकारी भरना जरूरी है। बीमा कंपनी आपके इंश्योरेंस पॉलिसी को बंद भी कर सकती है।
हेल्थ इंश्योरेंस अप्लाई करते वक्त रखें इन बातों का ध्यान
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