RBI Monetary Policy: घर, गाड़ी और पर्सनल लोन की किश्‍तों पर नहीं पड़ेगा असर, लेकिन बढ़ सकती है महंगाई

RBI Monetary Policy: यह लगातार नौवीं बार है जब पॉलिसी मीटिंग में प्रमुख उधार दर में कोई बदलाव नहीं किया है। यह घोषणा ओमाइक्रोन वैरिएशन के खतरे को देखते हुए लिया गया है। अब तक, भारत में दो दर्जन से अधिक ओमाइक्रोन मामले सामने आए हैं।

RBI Monetary Policy: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मौद्रिक नीति समिति (RBI Monetary Policy) ने 8 दिसंबर को प्रमुख लेंड‍िंग रेट, रेपो रेट में कोई बदलाव ना करते हुए 4 फीसदी पर रखा है। रेपो वह दर है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक बैंकों को शॉर्ट टर्म में धन उधार देता है। यह लगातार नौवीं बार है जब पॉलिसी मीटिंग में प्रमुख उधार दर में कोई बदलाव नहीं किया है। यह घोषणा ओमाइक्रोन वैरिएशन के खतरे को देखते हुए लिया गया है। अब तक, भारत में दो दर्जन से अधिक ओमाइक्रोन मामले सामने आए हैं। जिसकी वजह से राज्यों को नए यात्रा प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर किया है। ऐसी आशंका है कि ओमाइक्रोन उछाल से देश में कोविड-19 की तीसरी लहर पैदा हो सकती है।

खपत बढ़ाने पर जोर
एमपीसी बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क और राज्य वैट में हालिया कटौती से क्रय शक्ति बढ़ाकर कंजंप्‍शन डिमांड में इजाफा करना चाहिए। अगस्त से सरकारी खपत भी बढ़ रही है, जिससे कुल मांग को समर्थन मिल रहा है।

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जीडीपी अनुमान
आरबीआई गवर्नर ने जीडीपी पर बात करते हुए कहा कि वास्तविक जीडीपी की वृद्धि का अनुमान 2021-22 में 9.5 फीसदी पर बरकरार रखा गया है, जिसमें तीसरी तमिाही में 6.6 फीसदी और चौथी ति‍माही में 6 फीसदी शामिल है। 2022-23 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 17.2 फीसदी और 2022-23 की दूसरी तिमाही के लिए 7.8 फीसदी रहने का अनुमान है।  वित्त वर्ष 2012 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी 8.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में 7.4 प्रतिशत की गिरावट आई थी। लेकिन, यह काफी हद तक बेस इफेक्ट के कारण है।

पांच फीसदी से ज्‍यादा रहेगी महंगाई
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि 2021-22 में सीपीआई महंगाई दर 5.3 फीसदी अनुमानित है। इसमें तीसरी ति‍माही में 5.1 फीसदी और चौथी त‍िमाही में 5.7 फीसदी के साथ संतुलित है। उन्‍होंने कहा कि 2020 से फूड और फ्यूल को छोड़कर सीपीआई मुद्रास्फीति की निरंतरता नीतिगत चिंता का एक क्षेत्र है, जो इनपुट लागत दबावों को देखते हुए तेजी से खुदरा मुद्रास्फीति में ट्रांसफर हो सकता है क्योंकि मांग मजबूत हुई है।  कीमतों का दबाव तत्काल अवधि में बना रह सकता है। रबी फसलों की उज्ज्वल संभावनाओं को देखते हुए सर्दियों की आवक के साथ सब्जियों की कीमतों में मौसमी सुधार देखने की उम्मीद है। आपको बता दें क‍ि मुद्रास्फीति देर से कम हुई है, लेकिन अभी भी एमपीसी की आदर्श दर 4 प्रतिशत से दूर है।

 

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