सरकारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य तेल और ईंधन की ऊंची कीमतों के कारण भारत में खुदरा महंगाई अप्रैल के महीने में सालाना आधार पर बढ़कर 7.79 फीसदी हो गई।
बिजनेस डेस्क। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत में रिटेल इंफ्लेशन अप्रैल के महीने में सालाना आधार पर बढ़कर 7.79 फीसदी हो गई, जो कि 8 साल का उच्चतम स्तर है। यह महंगाई एडिबल ऑयल और फ्यूल की ऊंची कीमतों के कारण बढ़ी है। आपको बता दें कि मई 2014 में रिटेल महंगाई 8.33 फीसदी देखने को मिली थी। उसके बाद सबसे ज्यादा महंगाई अप्रैल 2022 के महीने में देखने को मिली है।
शहरी और ग्रामीण महंगाई के आंकड़ें
विश्लेषकों ने सीपीआई महंगाई के लगभग 7.5 फीसदी होने की उम्मीद की थी, जो मार्च के महीने में 6.95 फीसदी और अप्रैल 2021 में 4.23 फीसदी थी। इसके साथ, खुदरा महंगाई लगातार चौथे महीने में भारतीय रिज़र्व बैंक के 6 फीसदी ऊपरी टॉलरेंस लेवल से ऊपर बनी हुई है। मार्च में 7.66 फीसदी और अप्रैल 2021 में 3.75 फीसदी की तुलना में अप्रैल में ग्रामीण महंगाई बढ़कर 8.38 फीसदी हो गई, जबकि शहरी महंगाई मार्च में 6.12 फीसदी और अप्रैल 2021 में 4.71 फीसदी की तुलना में अप्रैल में 7.09 फीसदी हो गई है।
फूड इंफ्लेशल 8 फीसदी के पार
इस बीच, अप्रैल में ओवरऑल फूड इंफ्लेशन 8.38 फीसदी थी, जो पिछले महीने में 7.68 फीसदी और अप्रैल 2021 में 1.96 फीसदी थी। मौद्रिक नीति समिति ने पिछले हफ्ते, एक ऑफ-साइकिल स्टेप में, अगस्त 2018 के बाद पहली बार दरों में 40 बीपीएस की बढ़ोतरी की थी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एमपीसी को उम्मीद है कि महंगाई हाई लेवल पर रहेगी, महंगाई की उम्मीदों को कम करने के लिए दृढ़ और कैलिब्रेटेड कदमों की आवश्यकता होगी और दूसरे दौर के प्रभाव होंगे। एमपीसी ने सर्वसम्मति से नीति रेपो दर बढ़ाने के लिए मतदान किया था।