
Russia Ukarine War का असर वैसे तो पूरी दुनिया में देखने को मिलेगा, लेकिन भारत की करें तो यहां के लोगों को बड़ी महंगाई (Inflation in India) का सामना करना पड़ सकता है। इस वॉर से आवश्यक सामानों की कीमत में इजाफा होना तय माना जा रहा है। जहां रूस और यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, वहीं ग्लोबल इकोनॉमी (Global Economy) भी डगमागा रही है। नेचुरल गैस (Natural Gas Price) से लेकर गेहूं तक की कीमत (Wheat Price) में इजाफा होगा। गुरुवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) ने यूक्रेन पर हमले का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य यूक्रेन का 'डिमिलिटराइजेशन' करना था और कहा कि मास्को यूक्रेन पर कब्जा करने की योजना नहीं बना रहा है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर इस वॉर की वजह से क्या महंगा हो जाएगा।
प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ेंगी
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि यूक्रेन-रूस संकट ने ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत को 100 डॉलर प्रति बैरल पर लाकर खड़ा कर कर दिया है। जोकि 2014 के बाद पहली बार हुआ है। इसे संयोग ही कहेंगे कि उस समय भी युक्रेन और रूस के बीच काफी संकट चल रहा था। उनके अनुसार रूस कच्चे तेल के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि का ग्लोबल जीडीपी पर प्रभाव पड़ेगा। जेपी मॉर्गन के विश्लेषण में कहा गया है कि तेल की कीमतों में 150 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से वैश्विक जीडीपी विकास दर घटकर सिर्फ 0.9 फीसदी रह जाएगी।
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) बास्केट में कच्चे तेल से संबंधित उत्पादों की प्रत्यक्ष हिस्सेदारी 9 फीसदी से अधिक है। इसलिए, ब्रेंट क्रूड की कीमतों में इजाफे से भारत की WPI महंगाई में लगभग 0.9 फीसदी की वृद्धि करेगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, रूस यूक्रेन के साथ युद्ध होने से घरेलू प्राकृतिक गैस (सीएनजी, पीएनजी, बिजली) की कीमत दस गुना बढ़ सकती है।
पेट्रोल, डीजल की कीमतें बढ़ेंगी
आईआईएफल के वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता के अनुसार अतीत में, कच्चे तेल की ऊंची कीमतों ने पूरे भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि में योगदान दिया है। देश ने 2021 में फ्यूल की कीमतों में रिकॉर्ड ऊंचाई देखी। यदि रूस-यूक्रेन संकट जारी रहता है, तो भारत पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा देखने को मिल सकता है। जानकारों की मानें तो भारत में मौजूदा समय में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं, जिसकी वजह से पेट्रोल और डीजल की कीमत में कोई बदलाव नहीं हो रहा है। जैसे ही इलेक्शन खत्म होंगे पेट्रोल और डीजल की कीमत में 15 रुपए प्रति लीटर की तेजी देखने को मिल सकती है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा तेल आयात करता है। तेल की कीमतों में तेजी का असर चालू खाते के घाटे पर पड़ेगा।
गेहूं के दाम बढ़ सकते हैं
यदि काला सागर क्षेत्र से अनाज के प्रवाह में रुकावट आती है, तो विशेषज्ञों को डर है कि इसका कीमतों और फ्यूल फूड इंफ्लेशन पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। रूस दुनिया का शीर्ष गेहूं निर्यातक है जबकि यूक्रेन गेहूं का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है। दोनों देशों का गेहूं के कुल वैश्विक निर्यात का लगभग एक चौथाई हिस्सा है। संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, सप्लाई चेन पर महामारी के प्रभाव के कारण बड़े पैमाने पर फूड इंफ्लेशन एक दशक के हाई पर पहुंच गई हैं। आने वाले दिनों में एनर्जी और फूड प्राइस में उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है।
धातुओं की कीमतें बढ़ेंगी
रूस पर प्रतिबंधों की आशंकाओं के बीच, पैलेडियम, ऑटोमोटिव एग्जॉस्ट सिस्टम और मोबाइल फोन में इस्तेमाल होने वाली धातु की कीमत हाल के हफ्तों में बढ़ गई है। रूस पैलेडियम का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। वहीं दूसरी एल्यूमिनियम की कीमत में तेजी देखने को मिलेगी। आज एल्युमिनियम अपने ऑल टाइम पर पहुंच गया है। आज भारत के वायदा बाजार में एल्युमिनियम 280 रुपए प्रति किलोग्राम के करीब पहुंच गया है। कॉपर के दाम 3 फीसदी से ज्यादा की तेजी के साथ 784 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गए हैं।
सोना और चांदी की कीमत में तेजी
रूस और युक्रेन का संकट पूरी दुनिया में सोना और चांदी की कीमत में इजाफा कर सकता है। भारत में आज सोना 5 फीसादी की तेजी के साथ 52700 रुपए प्रति दस ग्राम के लेवल को पार कर गया है। अगर हालात इसी तरह से बने रहे तो सोना 57 हजार के लेवल को क्रॉस कर सकता है। जबकि चांदी की कीमत 3500 रुपए प्रति किलोग्राम की तेजी आ चुकी है। जो वाले दिनों में चांदी को 80 हजार रुपए के लेवल के पार करा सकती है। निवेशक अब सेफ हैवन की ओर भाग रहे हैं। जिसकी वजह से सोना और चांदी की डिमांड पूरी दुनिया में बढ़ गई है।