रूस-यूक्रेन युद्ध का असर, गाड़ी फुल टैंक कराने के लिए सैलेरी का बड़ा हिस्सा खर्च कर रहे इन देशों के लोग

Russia Ukarine war impact On fuel : चौबीस फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था। इसके बाद से दुनियाभर में तेल की कीमतों में इजाफा हो रहा है। यह वृद्धि अमेरिका तक नजर आ रही है। ग्रीक जैसे देशों में लोगों को अपने मासिक वेतन का 6 फीसदी तक पैसा फुल टैंक कराने में लग रहा है। राहत है कि भारत में इसका असर देखने को नहीं मिला है। 

Vikash Shukla | Published : Mar 16, 2022 5:34 AM IST / Updated: Mar 16 2022, 03:57 PM IST

बिजनेस डेस्क। रूस के यूक्रेन पर लगातार हमलों (Russia attack on Ukraine) के कारण कच्चे तेल की कीमतों में हुए उछाल का असर दुनियाभर के कई देशों में दिखने लगा है। 140 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंची कच्चे तेल (Crude oil) की कीमतों का असर ग्रीक (Greek)में इस कदर पड़ा है कि वहां लोगों को अपने मासिक औसत वेतन का 6 फीसदी तक ईंधन के फुल टैंक कराने में खर्च होने लगा है। यह ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक काे ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) देशाें में सर्वाधिक है। इस युद्ध का असर अमेरिका तक नजर आ रहा है। वहां फ्यूल में 4 डॉलर प्रति गैलन से अधिक की रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। इसके बाद अमेरिका के लोगों को फुल टैंक ईंधन के लिए मासिक वेतन का 1.2 फीसदी तक खर्च करना पड़ रहा है।   

मेक्सिको के लोग 5 फीसदी तक कर रहे खर्च
OECD और ग्लोबलपेट्रोलप्राइस डॉट कॉम के आंकड़ों के अनुसार अमेरिकियों को फ्यूल पंपों पर 16 गैलन गैसोलीन के लिए देश के औसत मासिक वेतन का 1.2 प्रतिशत का भुगतान करना पड़ रहा है, जबकि इसका उत्तरी पड़ोसी देश कनाडा 1.9 प्रतिशत भुगतान कर रहा है। उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप पर सबसे दक्षिणी देश मेक्सिको में 60 लीटर या 16 गैलन टैंक को फुल करने के लिए मासिक वेतन का 4.8 फीसदी तक भुगतान करना पड़ रहा है। अमेरिकी देशों में सबसे अधिक है। 

ग्रीक में औसत मासिक वेतन 2,267 डॉलर
यह असमानता आंशिक रूप से संबंधित देखों में धन की स्थिति, श्रम बाजारों और स्वयं ईंधन का उत्पादन करने की क्षमता के कारण है। कनाडा और अमेरिका स्वयं फ्यूल का उत्पादन कर रहे हैं। लेकिन, डेनमार्क तेल के निर्यात के चलते महंगाई की मार से जूझ रहा है। यहां के लोगों को 7 मार्च को पेट्रोल पंपों पर प्रति लीटर ऑक्टेन 95 के लिए 2.4 डॉलर का भुगतान करना पड़ा। यानी फुल टैंक के लिए औसत मासिक वेतन का तीन प्रतिशत पैसा चुकाना पड़ा। यहां औसत मासिक वेतन 4,900 डॉलर है। ग्रीक में 2,267 डॉलर की औसत मासिक आय है, जबकि यहां पंपों पर 2.1 डॉलर प्रति लीटर फ्यूूल मिल रहा है। 

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भारत में 132 दिन से नहीं बढ़े ईंधन के दाम 
भारत में फरवरी मार्च में पांच राज्यों के चुनाव थे। इसलिए नवंबर से ही ईंधन की कीमतों में वृद्धि रोक दी गई थी। नवंबर में क्रूड ऑयल की कीमत 88 डॉलर प्रति बैरल थी, जो मार्च में 139 डाॅलर प्रति बैरल तक गई, लेकिन पेट्रोल-डीजल के दामों में अंतर नहीं हुआ। यह तब हुआ जब भारतीय पेट्रोलियम कंपनियां रोजाना कीमतों की समीक्षा के आधाार पर पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय करती हैं। चुनावों से पहले मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क भी क्रमश: 5 रुपए और 10 रुपए घटाया था। इसके बाद कई राज्यों ने भी वैट कम किया था, जिससे देश में ईंधन की कीमतें कम हुई थीं। हालांकि, अभी भी यहां कई राज्यों में पेट्रोल 100 रुपए प्रति लीटर से ऊपर बिक रहा है। 

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