ऑनलाइन पेमेंट करने से पहले जान लें ये चार बातें, नहीं तो आप भी हो सकते हैं फ्रॉड के शिकार

सार

भारत में बढ़ते ई-कॉमर्स के बाजार में बड़ी संख्या में लोग डिजिटल पेमेंट को प्राथमिकता दे रहे हैं। इससे UPI के यूजर्स की संख्या पिछले वर्षों से लगातार बढ़ी है। इसी दौरान ऑनलाइन फ्रॉड भी खूब बढ़ा है।

नई दिल्ली. यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) भारत सहित दुनिया में अपने कदम बढ़ा रहा है। UPI के माध्यम से डिजिटल मनी ट्रांसफर किया जाता है। इससे ग्राहकों को चंद सेकंड में ही पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा मिलती है। मीडिया के रिपोर्ट्स को माने तो यूपीआई के माध्यम से पैसे के लेनदेन की संख्या एक अरब के ऊपर हो गई है। भारत में इसके यूजर्स करीब 10 करोड़ के पार हो गई है।

डिजिटल लेनदेन में बढ़ोतरी

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पिछले कुछ वर्षों में भारत में डिजिटल लेनदेन के चलन में एकाएक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। घर के खाने पीने वाले सामान से लेकर महंगे स्मार्टफोन सभी सामानों का पेमेंट ऑनलाइन ही किया जा रहा है। इसमें ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले भी आते हैं। तो जरूरी है कि हम जान लें कि ऑनलाइन फ्रॉड कैसे होता है और इससे कैसे बचें।

कैसे होता है फ्रॉड

देश में बढ़ते ऑनलाइन फ्रॉड को देखते हुए बैंकों ने भी कई कदम उठा रहे हैं। इसके तहत बैंक अपने ग्राहकों को मैसेज या ईमेल कर हर ट्रांजैक्शन की खबर देता है। OTP या पिन को किसी से भी शेयर करने से मना करता है। बैंक से जुड़े गोपनीय जानकारियों को किसी के साथ साझा न करने की सलाह देता है। अगर ऐसा होता है तो जालसाज वर्चुअल पेमेंट अड्रैस (VPA) की आईडी क्रिएट करके मोबाइल पर्सनल बैंकिग आइडेंटिफिकेशन नंबर (MPIN) सेट करते  हैं, जिससे यूजर्स के अकाउंट से पैसे ट्रांजैक्शन कर लेते हैं।    

फ्रॉड से कैसे बचे

1. यूजर्स को अपना डेबिट या क्रेडिट कार्ड का नंबर और उससे जुड़ी जानकारी को कभी शेयर न करें,
2. OTP जैसी डीटेल कभी शेयर न करें क्योंकि बैंक ये जानकारियां कभी नहीं मांगता,
3. अपना UPI मोबाइल पर्सनल बैंकिग आइडेंटिफिकेशन नंबर ( MPIN ) को किसी के साथ शेयर न करें,
4. अकाउंट का पिन या उससे जुड़े किसी भी गोपनीय पिन को शेयर करने से बचें।

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