Sebi का लिस्टेड कंपनियों के सीएमडी की भूमिकाओं पर बड़ा फैसला, अप्रैल से लागू होने थी नई व्यवस्था

‘‘सेबी निदेशक मंडल ने यह निर्णय किया है कि सूचीबद्ध इकाइयों के लिये पदों को अलग करने का प्रावधान अनिवार्य की जगह स्वैच्छिक होगा।’’  बाजार नियामक सेबी ने शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों के लिए अध्यक्ष और एमडी और सीईओ की भूमिकाओं को अनिवार्य से स्वैच्छिक करने की आवश्यकता को बदल दिया है।

बिजनेस डेस्क। पूंजी बाजार नियामक सेबी (Sebi) ने  कहा है कि लिस्टेड कंपनियों में चेयरपर्सन और प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी (Chairperson and Managing Director/Chief Executive Officer) के पदों को अलग-अलग करना अनिवार्य नहीं होगा। इसे स्वैच्छिक आधार पर लागू किया जा सकेगा। बता दें कि सूचीबद्ध कंपनियों के लिये इन पदों को अप्रैल, 2022 से अलग करना अनिवार्य था।

पदों को अलग करने का प्रावधान स्वैच्छिक
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India) ने निदेशक मंडल की बैठक के बाद एक विज्ञप्ति में कहा, ‘‘सेबी निदेशक मंडल ने यह निर्णय किया है कि सूचीबद्ध इकाइयों के लिये पदों को अलग करने का प्रावधान अनिवार्य की जगह स्वैच्छिक होगा।’’
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, बाजार नियामक सेबी ने शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों के लिए अध्यक्ष और एमडी और सीईओ की भूमिकाओं को अनिवार्य से स्वैच्छिक करने की आवश्यकता को बदल दिया है।
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वित्त मंत्री ने दिया था सुझाव
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) फरवरी  महीने की शुरुआत में कहा था कि अगर भारतीय कंपनियों के इस मामले में कोई विचार हैं, तो नियामक को इस पर गौर करना चाहिए। हालांकि, उन्होंने यह साफ किया था कि वह कोई निर्देश नहीं दे रही हैं।
नियामक ने पहले 01 अप्रैल, 2022 से लागू होने वाली सूचीबद्ध कंपनियों के अध्यक्ष और एमडी / सीईओ की भूमिका को अलग करना अनिवार्य कर दिया था। सेबी ने कहा कि अब तक हासिल किए गए अनुपालन के असंतोषजनक (unsatisfactory) स्तर पर विचार करने के बाद निर्णय लिया गया।

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सेबी ने कहा कि कॉरपोरेट गवर्नेंस सुधार के संबंध में अब तक प्राप्त विभिन्न विचारों में इसको लेकर बहुत उत्साहजनक स्थितियां नहीं है। वहीं संस्था को प्राप्त विभिन्न अभ्यावेदन, प्रचलित महामारी की स्थिति से उत्पन्न बाधाएं और कंपनियों को एक आसान संक्रमण के लिए योजना बनाने में सक्षम बनाने के लिए, सेबी इस समय बोर्ड ने फैसला किया कि इस प्रावधान को अनिवार्य आवश्यकता के रूप में नहीं रखा जा सकता है और इसके बजाय सूचीबद्ध संस्थाओं पर "स्वैच्छिक आधार" पर लागू किया जा सकता है ।

​​​​​​​सेबी ने की समीक्षा

सेबी ने आगे कहा कि, दो महीने से भी कम समय की संशोधित समय सीमा के साथ, समीक्षा करने पर, यह पाया गया कि सितंबर 2019 तक शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों में अनुपालन की स्थिति 50.4% थी, जो कि  दिसंबर 2021 के अंत केवल 54% तक बढ़ी है। सेबी ने कहा कि शीर्ष 500 सूचीबद्ध कंपनियों में से शेष 46% को लक्ष्य तिथि तक इन मानदंडों का पालन करने की उम्मीद करना एक लंबा प्रक्रिया होगी।

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