सार
दिल्ली के पूर्व मंत्री अजय माकन (Ajay Maken) ने डाटा शेयर करते हुए कहा कि दिल्ली में बीते सात सालों में डेवलपमेंट (Development) के नाम काफी कम खर्च हुआ है। डाटा में बीजेपी (BJP) के पाच साल, कांग्रेस (Congress) के 15 साल और आम आदमी पार्टी (Aam Admi Party) के पांच सालों का डाटा है।
बिजनेस डेस्क। देश की राजधानी दिल्ली में डेवलपमेंट सबसे बड़ा मुद्दा रहा है। 2014-15 में जब राजधानी दिल्ली में केजवरीवाल सरकार आई थी तो उन्होंने विकास में करप्शन का मुद्दा बेहद जोर शोर से उठाया था, लेकिन बीते सात सालों में वो भी डेवलपमेंट के मामले में कुछ खास करती हुई दिखाई नहीं दे रही है। दिल्ली के पूर्व मंत्री अजय माकन (Ajay Maken) ने डाटा शेयर करते हुए कहा कि दिल्ली में बीते सात सालों में डेवलपमेंट (Development) के नाम काफी कम खर्च हुआ है। डाटा में बीजेपी (BJP) के पाच साल, कांग्रेस (Congress) के 15 साल और आम आदमी पार्टी (Aam Admi Party) के पांच सालों का डाटा है। आइए आपको भी बताते हैं अजय माकन की ओर से किए ट्वीट के अनुसार तीनों पार्टियों के काल में दिल्ली में कैपेक्स यानी कैपिटल एक्सपेंडिचर पर कितना खर्च हुआ है।
बीजेपी ने किया इतना खर्च
पहले बात बीजेपी सरकार की करते हैं। उनकी देश की राजधानी दिल्ली में आखिरी बार सरकार 1994-95 से लेकर 1998-99 तक रही थी। इस दौरान बीजेपी ने एक्चुअल बजट डिस्बर्समेंट 18027.19 करोड़ रुपए किया था। जबकि कैपेक्स यानी कैपिटल एक्सपेंडिचर पर 7525.19 करोड़ रुपए था। जो पांच साल के कुल एक्सपेंडिचर कर 41.74 फीसदी था। इसका मतलब है कि उस समय बीजेपी सरकार ने कुल बजट एक्सपेंडिचर में इंफ्रा डेवलपमेंट में 41.74 फीसदी एलोकेट किया था।
केजरीवाल सरकार में ज्यादा गिर गए आंकड़ें
2015-16 से लेकर 2019-20 तक केजरीवाल की सरकार रही है। उसके बाद भी केजरीवाल भी सत्ता में आए हैं, लेकिन माकन की ओर से जारी किए आंकड़े सिर्फ पहले ही टेन्यार के हैं। अपने पहले पांच साल के टैन्योर कैपिटल एक्सपेंडिचर बजट को कम करते हुए 44930.80 करोउ़ रुपए पर लेकर आ गए। जोकि कांग्रेस के आखिरी टेन्योर के मुकाबले 12.74 फीसदी कम है। जोकि कुल एक्सचेंडिचर के मुकाबले 21.31 फीसदी है। 25 सालों के इतिहास में यह आंकड़ा सबसे कम है।
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बीजेपी के मुकाबले आधा विकास
कुल एक्सपेंडिचर में से कैपिटल एक्सपेंडिचर में खर्च किए आंकड़ों को देखें तो केजरीवाल सरकार विकास कराने के मामले में ठहरती है। जहां बीजेपी ने पांच सालों में 41 फीसदी से ज्यादा कैपिटल एक्स पर खर्च किया। वहीं केजरीवाल सरकार ने अपने टेन्योर में आंकड़ा 21 फीसदी ही देखने को मिला है। वहीं कांग्रेस ने अपने तीनों कार्यकाल में कैपेक्स खर्च लगातार कम ही किया है।
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कांग्रेस के 15 सालों में कितना हुआ खर्च
वहीं दूसरा दौर कांग्रेस का देखने को मिलता है। यह दौर 15 सालों का है। जब कांग्रेस 1999-00 में पहली बार सत्ता में आई थी उसने अगले पांच साल यानी 2003-04 में कैपेक्स पर 22022.40 करोड़ रुपए खर्च किया जो पिछली सरकार के मुकाबले करीब 193 फीसदी ज्यादा था और कुल एक्सपेंडिचर का 50.24 फीसदी था। जबकि 2004-05 से 2008-09 के टेन्योर में कैपेक्स करीब 12 हजार करोड़ रुपए का इजाफा हुआ जो पिछले टन्योर के मुकाबले मात्र 54.74 फीसदी था और कुल एक्सपेंडिचर के मुकाबले 45 फीसदी ही था। जबकि अपने आखिरी कार्यकाल में यह गिरावट और भी ज्यादा देखने को मिली। पिछले टेन्योर के मुकाबले कैपेक्स पर करीब 17 हजार कराोड़ रुपए का इजाफा जरूर हुआ, लेकिन ग्रोथ सिर्फ 51 फीसदी ही रही। जबकि कुल एक्सपेंडिचर का 36 फीसदी ही था। इसका मतलब है कि कांग्रेस की 15 सालों के राज में कुल एक्सपेंडिचर का कैपेस पवर 41.36 फीसदी ही खर्च हुआ।