
बिजनेस डेस्क। देश के सरकारी बैंकों से 9 हजार करोड़ से ज्यादा कर्ज लेकर विदेश भाग जाने वाले शराब कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) के प्रत्यर्पण को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार (Central Government) से स्टेटस रिपोर्ट की मांग की है। केंद्र सरकार से 6 सप्ताह में जवाब देने को कहा गया है। केंद्र सरकार ने 5 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि विजय माल्या को तब तक भारत प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता है, जब तक ब्रिटेन की अदालत में अलग से चल रही 'गोपनीय' कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है। केंद्र सरकार ने कहा था कि उसे ब्रिटेन में विजय माल्या के खिलाफ चल रही इस गोपनीय कार्यवाही की जानकारी नहीं है। पहले कई बार ऐसी खबरें आई थीं कि विजय माल्या को भारत में प्रत्यर्पित किया जा रहा है। यहां तक कि उसके लिए जेल की व्यवस्था संबंधी जानकारी भी ब्रिटेन की अदालत को दी गई थी, लेकिन विजय माल्या को भारत नहीं लाया जा सका। वह ब्रिटेन में रह रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी वकीलों को फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर साफ जवाब नहीं देने के लिए भगोड़े शराब कारोबारी के वकीलों को फटकार लगाई थी और सुनवाई 2 नवंबर तक के लिए टाल दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के वकीलों से कहा था कि वे 2 नवंबर तक बताएं कि माल्या कब कोर्ट में पेश हो सकता है और गोपनीय कार्यवाही कब समाप्त होगी।
क्या कहा था केंद्र सरकार ने
केंद्र सरकार का कहना था कि ब्रिटेन की सर्वोच्च अदालत ने माल्या के प्रत्यर्पण की कार्यवाही को बरकरार रखा है, लेकिन अभी ऐसा नहीं हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले माल्या की 2017 की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए उसे 5 अक्टूबर को न्यायालय में पेश होने का निर्देश दिया था।
अदालत की अवमानना का ठहराया था दोषी
सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या को अदालत के आदेशों का उल्लंघन करके अपने बच्चों के खातों में 4 करोड़ अमेरिकी डॉलर हस्तांतरित करने के मामले में 2017 में उसे अवमानना का दोषी ठहराया था। बहरहाल, अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर ब्रिटेन की अदालत में चल रही कार्यवाही कहां तक आगे बढ़ी है और उसे कब तक भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है।