टाटा ग्रुप ( Tata group) एयर इंडिया (Air India) के लिए बोली लगाएगा। माना जा रहा है कि टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया का मूल्याकंन करना शुरू कर दिया है और इस महीने के अंत तक वह नीलामी प्रक्रिया के दौरान अपनी बोली लगा देगा। बता दें कि टाटा ने ही एयर इंडिया की नींव 87 साल पहले रखी थी।
बिजनेस डेस्क। टाटा ग्रुप (Tata group) एयर इंडिया (Air India) के लिए बोली लगाएगा। माना जा रहा है कि टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया का मूल्याकंन करना शुरू कर दिया है और इस महीने के अंत तक वह नीलामी प्रक्रिया के दौरान अपनी बोली लगा देगा। बता दें कि टाटा ने ही एयर इंडिया की नींव 87 साल पहले रखी थी। जेआरडी टाटा (J. R. D. Tata) ने 1932 में टाटा एयरलाइन्स की स्थापना की थी और कराची से बंबई तक हवाई जहाज को खुद उड़ाया था। यही एयरलाइन्स बाद में चल कर एयर इंडिया बना। टाटा सन्स (Tata Sons) के स्पोक्सपर्सन ने कहा है कि टाटा सन्स अभी इस प्रस्ताव का मूल्यांकन कर रहा है और इसके बाद ही सही वक्त आने पर बोली लगाएगा।
क्या कहा टाटा ग्रुप के चेयरमैन ने
टाटा ग्रुप के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन (N Chandrasekaran) ने कहा कि फिलहाल एयर इंडिया का मूल्यांकन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि टाटा ग्रुप नीलामी प्रक्रिया में भाग लेगा। एन चंद्रशेखरन ने कहा कि हम विस्तारा (Vistara) और एयर एशिया इंडिया (AirAsia India) के अलावा तीसरी एयरलाइन नहीं चलाने जा रहे हैं। एयर इंडिया के सही मूल्यांकन के लिए टाटा ग्रुप अभी लीगल फर्म और कंसल्टेंट्स के साथ बातचीत कर रहा है। ये भी बातें चल रही हैं कि टाटा ग्रुप जल्द ही एयर एशिया इंडिया और एयर इंडिया का मर्जर कर सकता है। बता दें कि एयर एशिया इंडिया में टाटा सन्स की 51 फीसदी हिस्सेदारी है। हो सकता है कि जल्द ही एयर इंडिया मर्ज होकर सिर्फ एयर एशिया इंडिया कंपनी ही बचे।
विलय से हो सकता है फायदा
टाटा ग्रुप विस्तारा और एयर एशिया का संचलान करता है। दोनों कंपनियों को वित्त वर्ष 2019 में 1500 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। ग्रुप की योजना है कि वह एयर इंडिया को खरीद कर उसका विस्तारा में विलय कर दे। इससे कंपनी को फायदा हो सकता है, क्योंकि विस्तारा को एयर इंडिया के ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय रूट पर उड़ानों के संचालन का मौका मिल जाएगा। पिछले साल सरकार ने जब एयर इंडिया की 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए बोलियां मंगवाई थी, तब टाटा ग्रुप इससे पीछे हट गया था।
66 साल बाद फिर निजी हाथों में
एयर इंडिया के राष्ट्रीयकरण होने के 66 वर्षों के बाद वह निजी हाथों में चली जाएगी। 1946 में टाटा एयरलाइन्स पब्लिक हो गई और इसका नाम एयर इंडिया कर दिया गया। 1953 में इस एयरलाइन्स को सरकार ने खरीद लिया, लेकिन जेआरडी टाटा 1978 तक इस एयरलाइन्स से जुड़े रहे। हालांकि, मुंबई के एक लीगल एक्सपर्ट का कहना है कि एयर इंडिया को खरीदना काफी जटिल प्रस्ताव है। इसके लिए स्टेकहोल्डर्स का समर्थन और सरकार की मदद की जरूरत होगी।