AGR पर सरकार से नहीं मिली राहत, टेलीकॉम कंपनियां दोबारा पहुंचीं SC

एजीआर पर टेलीकॉम कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी है। देश के टेलीकॉम कंपनियों को 92,000 करोड़ रुपए सरकार को देना है। एजीआर को आधार बनाकर वोडाफोन आइडिया, एयरटेल और रिलायंस जियो ने पहले ही अपने टैरिफ प्लान को महंगा करने की घोषणा कर चुके हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 23, 2019 6:53 AM IST

नई दिल्ली. एजीआर पर टेलीकॉम कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी है। वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज ने पिछले अक्टूबर को दिए SC के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर कर फैसले को पर पुनर्विचार करने की गुहार लगाई है। इसके फैसले के तहत देश के टेलीकॉम कंपनियों को 92,000 करोड़ रुपए सरकार को देना है। हाल ही में एजीआर को आधार बनाकर वोडाफोन आइडिया, एयरटेल और रिलायंस जियो ने अपने टैरिफ प्लान को महंगा करने की घोषणा कर चुके हैं। 

एजीआर का भारी कर्ज

दरअसल 24 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर के मामले में सुनवाई करते हुए सरकार के पक्ष में फैसले का निर्णय दिया था, जिसके तहत टेलीकॉम कंपनियों को 92,000 करोड़ रुपए केन्द्र सरकार को देना है। इसके साथ पेनाल्टी और अन्य चार्ज को जोड़ने पर यह आंकड़ा 1 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच जाती है। वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल को इस तिमाही रिकॉर्ड घाटा भी हुआ है। इसमें वोडाफोन को सर्वाधिक 51,000 करोड़ रुपए और भारती एयरटेल को 23,000 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। 

टैरिफ दरें बढ़ाने की घोषणा

एजीआर के भारी भर कम राशि को कारण बता कर देश के टॉप टेलीकॉम कंपनियों ने ग्राहकों को झटका देते हुए अपने टैरिफ प्लान बढ़ाकर 1 दिसंबर से नई बढ़ी हुईं दरों के साथ प्लान को लागू करने की बात कहीं हैं। इसमें सरकारी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल  के साथ वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और रिलायंस जियो भी शामिल हैं। 

क्या है AGR

जानकारी के लिए बता दें कि एजीआर लगभग 15 साल पूराना मामला है, जिसके तहत टेलीकॉम कंपनियों द्वारा सरकार को रेवेन्यू के निर्धारित राशि को देना होगा। अगस्त 1999 मे आई पॉलिसी के तहत यह स्पष्ट हुआ था कि सरकार को टेलीकॉम कंपनियों द्वारा निर्धारित धन राशि को साझा करना होगा। एजीआर संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूजेज चार्ज और लाइसेंसिग फीस होता है।  इसकी सीमा हजारों करोड़ रुपए हो सकती है। लेकिन टेलीकॉम कंपनियों ने केन्द्र सरकार को पैसे देने में लगातार देरी की, जिसके बाद पेनाल्टी और अन्य चार्ज के सात यह राशि बढ़ती गई।

सरकार से नहीं मिली राहत

वोडाफोन के प्रमुख ने पिछले दिनों भारत सरकार पर गंभीर आरोप भी लगाए थे कि उनको सरकार की ओर से सरकार को कोई ढील नहीं दी गई तो वोडाफोन भारत में अपना कारोबार ठप कर सकती है। इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था की सरकार देश में किसी कंपनी को अपनी कारोबार बंद करने की स्थिति में नहीं आने देगी। हालांकि केन्द्र सरकार ने हाल ही में स्पष्ट कर दिया है कि एजीआर पर काई छूट नहीं दी जाएगी। इसके बजाय समय सीमा को बढ़ाने पर सरकार ने हामी भरी है, जिसके तहत कमपनियों को 2020-21 और 2021-22 दो साल की छूट दी गई है। लेकिन बढ़ी हुई समय सीमा के दौरान  मूलधन राशि पर ब्याज की आगदायगी करनी पड़ेगी।

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