देश की प्रगति गरीबों की आर्थिक योगदान पर निर्भर करती है, बैंक उन्हें मजबूती से जोड़कर रखें : राष्ट्रपति

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बैंकिंग सेवाओं से अब तक वंचित रहे लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली के दायरे में लाने में बैंकों की भूमिका की बुधवार को सराहना की। उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रणाली के दायरे में लाये गये इन नये लोगों को अब मजबूती के साथ प्रणाली का हिस्सा बनाये रखना की चुनौती है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 12, 2020 6:10 PM IST

पुणे. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बैंकिंग सेवाओं से अब तक वंचित रहे लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली के दायरे में लाने में बैंकों की भूमिका की बुधवार को सराहना की। उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रणाली के दायरे में लाये गये इन नये लोगों को अब मजबूती के साथ प्रणाली का हिस्सा बनाये रखना की चुनौती है।

जिन्हें बैंक से जोड़ा गया है उन्हें मजबूती से जोड़े रखा जाए- राष्ट्रपति

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उन्होंने राष्ट्रीय बैंक प्रबंधन संस्थान के स्वर्ण जयंती समारोह में कहा कि देश की प्रगति गरीबों की सामूहिक आर्थिक क्षमता के योगदान पर निर्भर करती है। उन्होंने बैंकों से आग्रह किया कि एक भी नागरिक को पीछे नहीं छूटने दिया जाये। कोविंद ने कहा, ‘‘हमारे सामने चुनौती है कि जिन्हें जोड़ा गया है, उन्हें मजबूती से जोड़े रखा जाये। मैं आप लोगों से ऐसे वित्तीय उत्पादों पर ध्यान देने का आग्रह करूंगा जो समाज के पिरामिड में सबसे निचले क्रम की जरूरतों को पूरा करें।’

बैंक देश की आर्थिक प्रणाली के आधार है

उन्होंने कहा कि किसी भी बैंक के लिये बाजार में दखल बढ़ाने तथा परिचालन का जोखिम कम करने का सबसे अच्छा तरीका है कि अधिक से अधिक लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली के दायरे में लाया जाये। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘सामाजिक पिरामिड के सबसे निचले क्रम के लोगों को मजबूती से जोड़े रखने के लिये बैंकरों द्वारा सहानुभूति और सहृदयता प्रदर्शित करने की जरूरत है। इसके लिये हाशिये के लोगों के साथ बैंकों द्वारा भागीदारी बढ़ाने तथा उनके प्रति नजरिये में बदलाव लाने की जरूरत है।’’

उन्होंने वित्तीय संपत्तियों के स्वामित्व के मामले में लैंगिक समानता लाने के लिये बैंकों को सक्रिय उपाय करने को कहा। कोविंद ने कहा कि बैंक देश की आर्थिक प्रणाली के आधार हैं। इन्होंने पिछले कई साल से देश की आर्थिक वृद्धि को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।

गलत प्रचलनों पर रोक लगने से वित्तिय प्रणाली मजबूत होगी

उन्होंने कहा कि देश ने पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य तय किया है। ऐसे में बैंकों को अगली बड़ी छलांग के लिये तैयार रहना चाहिये। उन्होंने कहा कि इसमें ‘बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोगों को सेवाएं मुहैया कराना’ तथा ‘असुरक्षित को सुरक्षित रखना’ शामिल है। राष्ट्रपति ने कहा कि रिजर्व बैंक की विस्तृत नियामकीय भूमिका से गलत प्रचलनों पर रोक लगेगी तथा देश की वित्तीय प्रणाली अधिक विश्वसनीय बनेगी। रिजर्व बैंक की नियामकीय निगरानी ने बैंकिंग परिचालन में स्थिरता लायी है।’’उन्होंने कहा कि हाल ही में एक नियामक के रूप में रिजर्व बैंक की भूमिका विस्तृत की गयी है।  ‘‘हमें भरोसा है कि इससे गलत प्रचलनों पर रोक लगेगी तथा हमारी वित्तीय प्रणाली अधिक विश्वसनीय बनेगी।’’

बैंक ये ख्याल रखे की पूंजी के अभाव में किसी अच्छे विचार के दम ना टूटे

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के बढ़ते आकार को देखते हुए देश को यह लक्ष्य बनाना चाहिये कि विश्व के शीर्ष 100 बैंकों में महज एक के बजाय अधिक नाम शामिल हों। उन्होंने कहा कि मुद्रा योजना और स्टैंडअप इंडिया योजना से महत्वाकांक्षी उद्यमियों को पूंजी मिल रही है। ‘‘मैं सभी बैंकरों से सतर्क रहने तथा पूंजी के अभाव में किसी अच्छे विचार के दम नहीं तोड़ देने पर ध्यान देने का अनुरोध करूंगा।’’

राष्ट्रपति ने कहा कि जमा पर बीमा की सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ा पांच लाख रुपये किया जाना बचतकर्ताओं को आश्वस्त करने की दिशा में उठाया गया एक सकारात्मक कदम है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस मौके पर कहा कि केंद्रीय बैंक हमारी बैंकिंग व वित्तीय क्षेत्र की सकल पारिस्थितिकी को मजबूत बनाने पर लगातार ध्यान दे रहा है।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
 

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