मर्सिडीज-बेंज कंपनी में काम करने वाली इस लड़की ने दी कैंसर को मात और खड़ी कर ली खुद की कंपनी

हैदराबाद में स्कूली शिक्षा खत्म करने के बाद, प्रकृति गुप्ता राव आगे की पढ़ाई के लिए कनाडा चली गईं और 2001 में यूनिवर्सिटी ऑफ विंडसर, कनाडा से बिजनेस में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने 2008 में यॉर्क यूनिवर्सिटी के शुलिच स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए पूरा किया।

बिजनेस डेस्क। प्रकृति गुप्ता राव हैदराबाद में पली-बढ़ी, जहां उनके पिता एक कारोबारी थे। पिता को अपने कर्मचारियों के साथ सहानुभूति के साथ व्यवहार करते हुए देखकर प्रकृति को बिजनेस करने के लिए प्रेरित किया, लेकिन वह जानती थी कि इसके अपने रिस्क होते हैं। हैदराबाद में स्कूली शिक्षा खत्म करने के बाद, वह आगे की पढ़ाई के लिए कनाडा चली गईं और 2001 में यूनिवर्सिटी ऑफ विंडसर, कनाडा से बिजनेस में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने 2008 में यॉर्क यूनिवर्सिटी के शुलिच स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए पूरा किया।

कैंसर से इंटरप्रेन्योरशिप की जर्नी
प्रकृति ने क्रिसलर फाइनेंशियल में काम करना शुरू किया और फिर फिएट-क्रिसलर ग्रुप में शामिल होने के लिए दुबई जाने से पहले प्रोजेक्ट लीड के रूप में कनाडा में मर्सिडीज-बेंज फाइनेंशियल में चली गईं। हालांकि, शादी के तुरंत बाद, और दुबई में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्हें 2010 में हॉजकिन के लिंफोमा कैंसर का पता चला। वैसे इन परिस्थितियों में कोई भी उम्मीद खो सकता है, लेकिन प्रकृति ने अपने रिकवर होने के टेन्योर में अपने जीवन के लक्ष्य की खोज की।

Latest Videos

यह भी पढ़ेंः- इस शहर में बिक रहा है सबसे मंहगा पेट्रोल और डीजल, 122.63 रुपए हुए फ्यूल के दाम

ऐसे शुरू हुआ सफर
एक मीडिया हाउस से बात करते हुए प्रकृति कहती हैं कि जब मुझे कैंसर का पता चला था, तो मैंने सोचा था कि मेरे ट्रीटमेंट के बाद के रिस्ट्रिक्टशंस को देखते हुए कॉर्पोरेट जीवन शैली से बाहर निकलने और एक इंटरप्रन्योशिप मानसिकता में आने का यह सही अवसर और समय है।  प्रकृति ने अपना इलाज पूरा करने के लिए तीन महीने कीमोथैरेपी और दो महीने की रेडिएशन थैरेपी के बाद अपना इलाज पूरा किया। उन्होंने कहा कि जब मैं अस्पताल में थी, मेरे आस-पास सब कुछ सफेद और उबाऊ था। मुझे एहसास हुआ कि मुझे लोगों और मेरी जिंदगी में भी रंग भरने की जरूरत है। उन्होंने आगे कि मैंने कपड़े पर डिजिटल प्रिंटिंग देखी, और इसे बहुत दिलचस्प पाया और महसूस किया कि इस मार्केट में बहुत ज्यादा प्लेयर भी नहीं थे। फिर मैंने छोटे होम फर्निशिंग प्रोजेक्ट्स पर काम करके, शिबोरी डिज़ाइन्स के साथ अपनी इंटरप्रेन्योरशिप की जर्नी शुरू करने का फैसला किया।

यह भी पढ़ेंः- निवेशकों को निफ्टी ने मोदी ऐरा में दिया दूसरी बार सबसे ज्यादा रिटर्न,  वित्त वर्ष 2022 में कितनी कराई कमाई

कफ्तान कंपनी हुई शुरुआत
होम फर्निशिंग में काम करने के बाद, प्रकृति गारमेंट बिजनेस में जाना चाहती थी। उसने अपना रिसर्च उस तरह के प्रोडक्ट में शुरू किया जो वह बनाना चाहती थी - जो मार्केट में पहले से मोजूद है उससे थोड़ा अलग हो। उन्होंने कहा कि मैं कपड़ों की एक सस्ती प्रीमियम ब्रांच शाखा में उद्यम करना चाहती थी और महसूस किया कि बाजार ऐसे कपड़ों से भरा हुआ है जो एक दूसरे से बहुत मिलते-जुलते हैं। मैंने देखा कि कोई भी ब्रांड ऐसा नहीं था जो केवल कफ्तान कर रहा हो। मुझे एहसास हुआ कि यह इतना सुंदर और आरामदायक सिल्हूट है और इसके साथ वास्तव में कुछ अलग करना चाहता था। तभी मेरे मन में एक ऐसा ब्रांड लॉन्च करने का विचार आया, जो काफ्तान पर केंद्रित हो, न कि केवल सोने के लिए - मैं इसे दिन के कपड़ों के लिए भी शामिल करना चाहती थी। प्रकृति ने 2016 में हैदराबाद में अपने घर से द काफ्तान कंपनी की शुरुआत की थी। उसने अपने D2C ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के साथ-साथ अन्य ई-कॉमर्स वेबसाइटों जैसे Myntra, Jabong, Flipkart और Amazon के माध्यम से बिक्री शुरू की। हमने तब से कई ई-कॉमर्स चैनल पार्टनर जोड़े हैं जिनमें ओगान, ज़िवाम, शॉपर्स स्टॉप, अजियो और टाटा क्लिक लग्ज़री शामिल हैं।

यह भी पढ़ेंः- एलन मस्क की फेवरेट क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में इजाफा, जानिए बिटकॉइन, इथेरियम के फ्रेश प्राइस

कफ्तान के लिए प्यार
प्रकृति को काफ्तान सबसे आरामदायक पहनावा लगता है। “काफ्तान पहनते समय हमारे शरीर पर कोई रिस्ट्रिक्टशंस नहीं है। दूसरी आेर कफ्तान की टिकाऊ नेचर है।  तीसरी बात यह है कि यह मेरे पसंदीदा कपड़ों में से एक है और जब आप किसी चीज पर इतनी दृढ़ता से विश्वास करते हैं तो इसे अन्य लोगों को बेचना बहुत आसान हो जाता है।  हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में भारत में कफ्तान तेजी से बढ़े हैं, इसलिए प्रकृति के लिए एक अनूठा उत्पाद लाना एक चुनौती थी।

यह भी पढ़ेंः- ट्विटर के शेयर खरीदने के बाद एलन मस्क के पर्स में आ गए 1.15 लाख करोड़ रुपए, जानिए कैसे

महामारी में कैसे किया मैनेज
उन्होंने कहा कि काफ्तान, फैशन की दुनिया में एक विशिष्ट उत्पाद होने के नाते, हमारे उपभोक्ताओं को शिक्षित करने और उन्हें अपने तरीके से एक टाइमलेस क्लासिक के लिए फिर से पेश करने की जरुरत है। महामारी ने ब्रांड पर भी अपना असर डाला, लेकिन यह एक अच्छी समस्या थी। इस अवधि के दौरान काफ्तानों और लांजवियर की बिक्री में वृद्धि के साथ, द काफ्तान कंपनी को बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन बढ़ाना पड़ा। महामारी के बाद से, कफ्तान भारतीय महिलाओं के बीच एक पसंदीदा ब्रांड बन गया हैै आैर कई ब्रांड जैसे जिसोरा, संस्कृति होम्स, द बूज़ी बटन, पिंकले आदि समय अवधि के दौरान एक सेगमेंट श्रेणी में उभरे हैं।

यह भी पढ़ेंः- एलन मस्क के एडिट बटन पोल पर, ट्विटर के सीईओ ने यूजर्स को दी 'परिणाम' के बारे में चेतावनी

3 से 4 गुना रेवेन्यू ग्रोथ रेट
फिर भी, प्रकृति को लगता है कि इन-हाउस बनाए गए उनके डिज़ाइन किए गए प्रिंट अलग हैं और अन्य ब्रांडों द्वारा दोहराने में मुश्किल है। प्रकृति का दावा है कि द कफ्तान कंपनी में कंपनी की एनुअल रेवेन्यू ग्रोथ रेट तीन से चार गुना है। जिसे वो 10 गुना  करने की आेर आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने बताया कि इस रेवेन्यू टारगेट को मीट करने के लिए स्टाइल काउंट बढ़ाने के साथ-साथ एक ही ब्रांड के तहत कई नए कलेक्शन लॉन्च करना होगा। जबकि द काफ्तान कंपनी को बूटस्ट्रैप्ड स्टार्टअप के रूप में शुरू किया गया था, प्रकृति अब फिजिकल स्टोर खोलने पर विचार कर रही है और इसके लिए वह प्राइवेट इक्विटी के माध्यम से धन जुटाने पर विचार करेगी।

Share this article
click me!

Latest Videos

पहले गई सीरिया की सत्ता, अब पत्नी छोड़ रही Bashar Al Assad का साथ, जानें क्यों है नाराज । Syria News
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में तैयार हो रही डोम सिटी की पहली झलक आई सामने #Shorts
The Order of Mubarak al Kabeer: कुवैत में बजा भारत का डंका, PM मोदी को मिला सबसे बड़ा सम्मान #Shorts
LIVE 🔴: रविशंकर प्रसाद ने भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया | Baba Saheb |
20वां अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड, कुवैत में 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से सम्मानित हुए पीएम मोदी