आयरन से भरपूर “लाल चावल”असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में बिना किसी रासायनिक उर्वरक के पैदा किए जाते हैं। इस चावल की किस्म को 'बाओ-धान' कहा जाता है
बिजनेस डेस्क. उत्तर-पूर्वी क्षेत्र से कृषि और खाद्य प्रोडेक्ट की निर्यात क्षमता को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। 1.2 मीट्रिक टन (एमटी) ताजा कटहल की खेप त्रिपुरा से लंदन निर्यात की गई है। निर्यात किए गए कटहल, त्रिपुरा स्थित कृषि संयोगा एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड से खरीदे गए थे। एपीडा सहायता प्राप्त सॉल्ट रेंज सप्लाई चेन सॉल्यूशन लिमिटेड की पैक-हाउस सुविधा में पैक किया गया और काइगा एक्जिम प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्यात किया गया।
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यह यूरोपीय संघ को निर्यात के लिए पहला एपीडा सहायता प्राप्त पैक हाउस था। जिसे मई 2021 में अप्रव्यूड किया गया था। एपीडा नियमित रूप से उत्तर-पूर्वी राज्यों को भारत के निर्यात मानचित्र पर लाने के लिए निर्यात को बढ़ावा देने की गतिविधियों के लिए काम करता है। कटहल को लंदन निर्यात करने के वर्चुअल प्रोग्राम में एपीडा के अध्यक्ष डॉ. एम अंगमुथु और त्रिपुरा सरकार के कृषि सचिव सीके जमातिया और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया था।
हाल ही में “लाल चावल” को भी असम से अमेरिका भेजा गया था। आयरन से भरपूर “लाल चावल”असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में बिना किसी रासायनिक उर्वरक के पैदा किए जाते हैं। इस चावल की किस्म को 'बाओ-धान' कहा जाता है, जो असमिया भोजन का एक अभिन्न अंग है। एपीडा खाद्य उत्पादों के निर्यात, मार्केटिंग रणनीतियों को विकसित करने, मार्केटिंग इंटेलिजेंस, अंतर्राष्ट्रीय अवसर, कौशल विकास, क्षमता निर्माण और उच्च गुणवत्ता वाली पैकेजिंग के लिए कदम उठाता है।