अब भी जियो से ज्यादा यूजर्स हैं वोडाफोन के पास, कुछ ऐसा है एस्सार से शुरू हुआ अब तक का 'सफर'

 वोडाफोन आइडिया की बढ़ती दिक्कतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। वोडाफोन के लिए दिक्कतें हाल के दिनों से नहीं शुरू हुई है, इसकी शुरुआत 2005 से है। वोडाफोन के पास साल 2007 में देश के16 सर्कल के कुल 2.8 करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर्स थे, जो वर्तमान में करीब 37 करोड़ हो गई है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 17, 2019 10:40 AM IST

नई दिल्ली. वोडाफोन आइडिया की बढ़ती दिक्कतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। इस तिमाही में कंपनी को कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घाटा हुआ है, जिसमें कंपनी को कुल 51,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। वोडाफोन के लिए दिक्कतें हाल के दिनों से नहीं शुरू हुई है, इसकी शुरुआत 2005 से है। जब एजीआर के तहत सुप्रीम कोर्ट और टेलीकॉम कंपनियों के बीच टैक्स को लेकर विवाद चल रहा है। बता दें वर्तमान वोडाफोन इंडिया की शुरुआत 1992 से हुई थी।

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शुरुआती सफर

वैश्विकरण के दौर में इस कंपनी ने भारत में अपने पारी की शुरुआत की थी। Hutchison Whampoa और Max Group ने मिल कर साल 1992 में मुंबई में इसको शुरू किया था। कंपनी का सफर साल 2006 में एस्सार समूह के साथ Hutchison Essar Limited से नए रूप में शुरू हुआ। कंपनी ने अपना बिजनेस बढ़ाया और भारत का बढ़ते वायरलेस फोन के दौड़ में आगे बढ़ता गया। साल 2007 के शुरू में कंपनी ने एलान किया कि वो कंपनी की हिस्सेदारी बेचने के लिए Vodafone Group से बात कर रहे हैं। इसमें 11 फीसद हिस्सेदारी पीरामल समूह की भी थी।   

 

वोडाफोन की भारत में इंट्री

भारत में वोडाफोन की इंट्री साल 2007 में हुई थी। कंपनी ने Hutchison Whampoa के 67 फीसदी हिस्सेदारी खरीदकर भारत में अपना कारोबार फैलाया। साल 2014 में एस्सार ग्रुप से बाकी बची हिस्सेदारी भी खरीद ली। इसी साल भारत सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर में 100 फीसद विदेशी निवेश की अनुमति दे दी। बता दें कि वोडाफोन के पास साल 2007 में देश के16 सर्कल के कुल 2.8 करोड़ से ज्यादा सब्सक्राइबर्स थे, जो वर्तमान में करीब 37 करोड़ हो गई है। 

 

वोडाफोन का बड़ा निवेश

वोडाफोन जब भारत में Hutchison Whampoa ( जिसे HUTCH के नाम से हम जानते हैं) के मोबाइल- फोन बिजनेस में 67 फीसदी की हिस्सेदारी खरीदा तो उस पर पेनाल्टी और टैक्स के रूप में करीब 14,000 करोड़ रुपए सरकारी कर्ज भी थे। वोडाफोन और Hutchison Whampoa के बीच साल 2007 में हुआ डील करीब 13 बिलियन डॉलर की थी। टेलीकॉम सेक्टर में यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निवेश था। 

 

टैक्स विवाद

वोडाफोन का भारत में आना टेलीकॉम सेक्टर में बड़े बदलाव के संकेत था। ब्रिटीश मूल की यह कंपनी भारत में टैक्स देनदारी के मसले पर लगातार विवादों से घिरी रही है। कंपनी का भारत में निवेश के साथ ही उस पर जुर्माने और टैक्स के रूप में करीब 14000 करोड़ रुपए का सरकारी देनदारी थी। कंपनी को इनकम टैक्स एक्ट के तहत अपने टैक्स की दर में कटौती करने के लिए कहा गया, लेकिन वोडाफोन ने इस ओर कोई कदम नही उठाए। टैक्स की देनदारी बढ़कर 20,000 करोड़ रुपए हो गई। इस मामले पर 2012 में सुप्रीम कोर्ट को भी बीच में आना पड़ा। 

 

वोडाफोन और आइडिया का मर्जर

सितंबर 2016 में रिलायंस जियो के आने के बाद देश में टेलीकॉम सेक्टर का रुख बिल्कुल बदल गया। अब यूजर्स सस्ते डेटा के लिए जियो की ओर तेजी बढ़ रहे थे। वर्ष 2018 में वोडाफोन-आइडिया मर्जर हुआ। इस मर्जर को टेलीकॉम सेक्टर का दूसरा सबसे बड़ा मर्जर माना जाता है। जिसके तहत वोडाफोन इंडिया के पास 45.1%, आदित्य बिरला ग्रुप के पास 26% और आइडिया के शेयर होल्डर्स के पास 28.9% की हिस्सेदारी मिली। अब आइडिया की हिस्सेदारी नई कंपनी में 54.9% की हो गई थी। अब कंपनी का नाम वोडाफोन-आइडिया हो गया था। 

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