Bisleri: लगातार मुनाफे के बाद भी आखिर क्यों बिकने जा रहा 'बिसलेरी', जानें भारत में कैसे शुरू हुआ कंपनी का सफर

पैकेज्ड ड्रिकिंग वॉटर बनाने वाली देश ही नहीं बल्कि दुनिया की जानी-मानी कंपनी बिसलेरी अब बिकने जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी के मालिक और चेयरमैन रमेश चौहान ने इसे बेचने का फैसला किया है। खबर है कि टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (TCPL) बिसलेरी को 7,000 करोड़ रुपए में खरीद सकता है।

Ganesh Mishra | Published : Nov 25, 2022 8:07 AM IST / Updated: Nov 25 2022, 01:54 PM IST

Bisleri: पैकेज्ड ड्रिकिंग वॉटर बनाने वाली देश ही नहीं बल्कि दुनिया की जानी-मानी कंपनी बिसलेरी अब बिकने जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी के मालिक और चेयरमैन रमेश चौहान ने इसे बेचने का फैसला किया है। खबर है कि टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (TCPL) बिसलेरी को 7,000 करोड़ रुपए में खरीद सकता है। हालांकि, इसको लेकर कंपनी के चेयरमैन रमेश चौहान का कहना है कि वो बिसलेरी के लिए एक अच्छे खरीदार को ढूंढ रहे हैं। इसके लिए टाटा समेत और भी कई कंपनियों से बात चल रही है, लेकिन अभी तक कोई डील फाइनल नहीं हुई है।  

लगातार मुनाफे के बाद भी क्यों बिकने जा रही बिसलेरी? 
एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिसलेरी को वित्त वर्ष 2022-2023 में 220 करोड़ रुपए का लाभ होने की उम्मीद है। कंपनी ने 2021 में 95 करोड़ रुपए और 2020 में 100 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया था। ऐसे में सवाल उठता है कि रमेश चौहान आखिर मुनाफे वाली कंपनी बिसलेरी को क्यों बेचना चाहते हैं?

तो क्या इस वजह से बिसलेरी को बेचना चाहते हैं चौहान : 
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिसलेरी के चेयरमैन रमेश चौहान 82 साल के हो गए हैं। अब कंपनी को नेक्स्ट लेवल पर ले जाने के लिए उनके पास कोई उत्तराधिकारी नहीं है। चौहान के मुताबिक, उनकी बेटी जयंती को इस कारोबार में कोई खास दिलचस्पी नहीं है। बता दें कि डील होने के बाद भी कंपनी का हालिया मैनेजमेंट अगले दो साल तक यही रहेगा। 

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चैरिटी में पैसा लगाएंगे रमेश चौहान : 
बिसलेरी के चेयरमैन रमेश चौहान के मुताबिक, वो कंपनी में माइनॉरिटी स्टेक भी नहीं रखेंगे। बिजनेस बेचने के बाद वो उस पैसे को वॉटर हार्वेस्टिंग, प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और चैरिटी से जुड़े कामों पर लगाएंगे। चौहान ने ये भी कहा कि टाटा ग्रुप इस बिजनेस को बहुत अच्छे तरीके से संभाल सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका वर्क कल्चर काफी बेहतर है। यही वजह है कि दूसरे खरीदारों की तुलना में इस डील के लिए मुझे टाटा ग्रुप सबसे बेहतर नजर आ रहा है। 

रमेश चौहान ने महज 4 लाख में खरीदी थी बिसलेरी : 
बता दें कि 1969 में मुंबई के कारोबारी घराने चौहान फैमिली के नेतृत्व वाली पारले (Parle) कंपनी को इटली के एक बिजनेसमैन से खरीदा था। बाद में ये बिसलेरी (इंडिया) लिमिटेड हो गई। रमेश चौहान के हाथों में इसकी कमान 1995 में आई। इसके बाद उन्होंने इस कंपनी के कारोबार को इतनी तेजी से बढ़ाया कि देखते ही देखते ये अपने आप में एक ब्रांड बन गई।

कौन हैं रमेश चौहान?
बिसलेरी ब्रांड के चेयरमैन रमेश चौहान का जन्म 17 जून 1940 को मुंबई में हुआ था। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग और बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की। सिर्फ 27 साल की उम्र में उन्होंने बोतलबंद मिनरल वॉटर का बिजनेस शुरू कर दिया था। रमेश चौहान ने बिसलेरी के अलावा प्रीमियम नेचुरल मिनरल वाटर ब्रांड वेदिका, गोल्ड स्पॉट, सिट्रा, माजा और लिम्का जैसे कई ब्रांड तैयार किए। 

कौन हैं जयंती चौहान?
जयंती चौहान, बिसलेरी के चेयरमैन रमेश चौहान की इकलौती बेटी हैं। उन्होंने अपने पिता का बिजनेस सिर्फ 24 साल की उम्र में ज्वॉइन कर लिया था। पिता रमेश चौहान के साथ साल 2009 में काम शुरू करने वाली जयंती इससे पहले एक फैशन स्टाइलिस्ट थीं। पढ़ाई में भी अव्वल रहने वाली जयंती ने लंदन कॉलेज ऑफ फैशन से फैशन स्टाइलिंग और फोटोग्राफी सीखी है। इसके अलावा उन्होंने लॉस एंजिलिस के फैशन इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन एंड मर्चेंडाइजिंग (FIDM) से भी पढ़ाई की है। 

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