क्या होता है लीव इनकैशमेंट? कितना देना पड़ता है इनकम टैक्स, इन कर्मचारियों को मिल रही छूट

यदि आप अपनी छुट्टियों को कैश कराते हैं तो आपको यह जानना भी जरूरी है कि इस पर कितना इनकम टैक्स देना पड़ेगा। यह सवाल अक्सर कस्टमर्स के दिमाग में आता है कि लीव इनकैशमेंट (Leave Encashment) के लिए इनकम टैक्स (Income Tax) कितना देना पड़ता है।
 

Manoj Kumar | Published : Oct 4, 2022 5:14 AM IST

Income Tax On Leave Encashment. यह खबर उन सभी नौकरीपेशा लोगों के लिए है, जो कंपनियों द्वारा दी जा रही लीव को कैश कराते हैं। इसे साधारण शब्दों में लीव इनकैशमेंट कहा जाता है। अब आपको यह भी जानना चाहिए कि आखिर लीव इनकैशमेंट पर कितना इनकम टैक्स देना पड़ता है। हम यहां आपको यही जानकारी दे रहे हैं कि आखिर लीव इनकैशमेंट पर आप कितना और कैसे इनकम टैक्स देंगे। 

क्या होता है लीव इनकैशमेंट
इसे आप इस तरह से समझें की आप एक कर्मचारी हैं और आपको जो छुट्टियां मिलती हैं, उसे आपने नहीं लिया है। अब उन छुट्टियों के बदले आपको उतने दिनों की रकम कंपनियां पे करेंगी। यानि आप अपनी छुट्टियों को सरेंडर करेंगे और उसके बलदे नगद भुगतान प्रात्प करेंगे। यही लीव इनकैशमेंट कहा जाता है। संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए उपलब्ध सभी छुट्टियों को तीन कैटेगरी में बांटा गया है। इसमें एसएल यानि सिक लीव, जब आप बीमार होते हैं, तब यह लीव लिया जाता है। दूसरा है इमरजेंसी लीव जिसे अचानक किसी काम की वजह से लिया जा सकता है। तीसरा होता है अर्न लीव जिसे कर्मचारी के खाते में डाला जाता है। इसी लीव को बचाकर रखते हैं को कैश करा सकते हैं। बाकी दोनों कैटेगरी की छुट्टियां एक वर्ष के बाद स्वतः ही समाप्त मानी जाती हैं। 

नौकरी जारी है तो लगेगा टैक्स
यदि छुट्टियों को इनकैश कराया जाता है तो इस पर इनकम टैक्स भी लगाया ज सकता है। इसलिए यह जानना जरूरी किस कंडीशन में टैक्स देना होगा औ किस तरह से छूट मिल सकती है। इसे समझें कि छुट्टियों के नकदीकरण पर छूट केवल तभी मिलती है जब कोई कर्मचारी ने कंपनी छोड़ दी है। इसलिए जब कोई कर्मचारी अपनी सेवाओं को जारी रखता है और इनकैश कराता है तो वह भी वेतन का हिस्सा माना जाएगा और इनकम टैक्स के दायरे में आएगा। यह राशि आपके हाथों में है और टैक्स लगेगा और नियोक्ता टैक्स की कटौती कर सकते हैं।

इस्तीफा और रिटायरमेंट के बाद 
यदि किसी कर्मचारी ने इस्तीफा दे दिया है या फिर रिटायरमेंट ले चुका है तब उसके नियम अलग हैं। दरअसल इस लीव को कैरी फॉरवर्ड भी किया जा सकता है यानि आप काम कर रहे हैं तो इन छुट्टियों को अगले साल ले जा सकते हैं। अपनी नीति के आधार पर नियोक्ता अर्जित अवकाश को केवल एक निश्चित सीमा तक ही आगे ले जाने की अनुमति देते हैं। कुछ नियोक्ता सेवा की निरंतरता के दौरान अर्जित अवकाश को भुनाने या सेवा की समाप्ति, इस्तीफे या सेवानिवृत्ति के कारण नौकरी छोड़ने की सुविधा भी प्रदान करते हैं।

सरकारी कर्मचारियों को टैक्स से छूट
किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा छुट्टियों को इनकैश कराने से अर्जित राशि को बिना किसी सीमा के टैक्स से पूरी तरह से छूट हासिल है यानि सरकारी कर्मचारियों को लीव इनकैशमेंट पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है। यहा यह क्लीयर होना चाहिए कि ये छूट केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध है न कि सरकारी कंपनियों या उपक्रमों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए। इसलिए छूट नियम सरकारी बैंकों, बीमा कंपनियों और बिजली उत्पादन कंपनियों के कर्मचारियों पर लागू नहीं होता। निजी क्षेत्र या सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के पास तीन लाख रुपये की सीमा है, जिसमें कंपनी छोड़ने के समय इनकैशमेंट पर कर से छूट दी गई है।

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