बढ़ती महंगाई ने आम आदमी का बजट बिगाड़ दिया है। ऐसे में हर कोई चाहता है कि खाने-पीने की चीजों के दाम उसकी जेब पर भारी न पड़ें। बढ़ती महंगाई के बीच केंद्र सरकार का एक फैसला आम आदमी को थोड़ी राहत जरूर देगा।
Edible Oils Price: बढ़ती महंगाई ने आम आदमी का बजट बिगाड़ दिया है। ऐसे में हर कोई चाहता है कि खाने-पीने की चीजों के दाम उसकी जेब पर भारी न पड़ें। बढ़ती महंगाई के बीच केंद्र सरकार का एक फैसला आम आदमी को थोड़ी राहत जरूर देगा। सरकार ने खाने के तेल (Edible Oils) के दामों को कंट्रोल रखने के लिए बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत सेंट्रल बोर्ड ऑफ इन-डायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम (CBIC) ने खाने वाले तेल की कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए इंपोर्ट पर कस्टम ड्यूटी में छूट को आगे भी जारी रखने का फैसला किया है।
मार्च, 2023 तक तेलों के दाम नहीं बढ़ने की उम्मीद :
चूंकि फेस्टिव सीजन में देशभर में खाने के तेल की खपत बढ़ जाती है, जिससे इसके दामों में भी इजाफा होता है। हालांकि, खाद्य मंत्रालय (Food Ministry) ने हाल ही में कहा है कि निर्दिष्ट खाद्य तेलों पर रियायती आयात शुल्क मार्च, 2023 तक लागू रहेगा। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि अगले साल यानी 2023 तक खाने के तेल की कीमतों में उछाल देखने को नहीं मिलेगा।
इस वजह से भी नहीं बढ़े तेल के दाम :
खाद्य मंत्रालय ने खाने वाले तेल के आयात पर रियायती सीमा शुल्क को 6 महीने के लिए और बढ़ा दिया है। इस तरह अब नई समय सीमा मार्च 2023 होगी। खाद्य मंत्रालय का कहना है कि ग्लोबल लेवल पर कीमतों में गिरावट के चलते घरेलू मार्केट में भी खाने वाले तेल की कीमतों में नरमी का रुख रहा है। इसके अलावा कम आयात शुल्क की वजह से भी देश में खाद्य तेलों की रिटेल कीमतों में कमी आई है।
भारत विदेशों से आयात करता है खाद्य तेल :
बता दें कि भारत अपने खाना पकाने के तेल का दो-तिहाई हिस्सा विदेशों से आयात करता है। पिछले कुछ महीनों में रूस-यूक्रेन युद्ध और इंडोनेशिया द्वारा पाम ऑयल के निर्यात पर बैन लगाने की वजह से खाने वाले तेल की कीमतों में इजाफा हुआ था। हालांकि, कुछ महीने पहले इंडोनेशिया ने पाम ऑयल के एक्सपोर्ट पर से प्रतिबंध हटा दिया था। इसके चलते वैश्विक बाजार में पॉम ऑयल की कीमतों में गिरावट देखने को मिली थी। भारत इंडोनेशिया से हर साल करीब 80 लाख टन पाम ऑयल आयात करता है।
महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक ने उठाया ये कदम :
देश में फिलहाल महंगाई दर रिजर्व बैंक के तय किए गए लक्ष्य से ज्यादा है। अगस्त के महीने में रिटेल महंगाई दर 7% थी। हालांकि, इससे पहले जुलाई महीने में खुदरा महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई थी और यह 6.71% पर आ गई थी। सरकार महंगाई दर को 2 से 6% के बीच रखना चाहती है। हालांकि, बावजूद इसके महंगाई इसे पार कर रही है। ऐसे में रिजर्व बैंक ने हाल ही में रेपो रेट में बढ़ोतरी की है। इससे बाजार में नगदी की कमी आएगी, जिससे काफी हद तक महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी।
ये भी देखें :
रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में किया इजाफा, एक बार फिर महंगे हो जाएंगे सभी तरह के लोन