करियर मंत्र: इन कोर्सों को कर संभाल सकते हैं आप अपना भविष्य, फील्ड की तेजी से बढ़ रही डिमांड

यह क्षेत्र छात्रों के लिए एक सदाबहार करियर के रूप में उभर रहा है। केवल अकाउंट की जानकारी नहीं, बल्कि तकनीक में हो रहे बदलावों ने इसे और आकर्षक करियर बना दिया है। ऑडिटर कई तरह के होते हैं, इनमें इंटरनल ऑडिटर का काम व्यक्तिगत निगमों, सरकारी कंपनियों और अन्य संस्थाओं को नियोजित करना होता है। 

करियर डेस्क. आमतौर पर ऑडिट का मतलब फाइनेंस ऑडिट समझा जाता है। कोई संस्था या व्यक्ति वित्तीय कानूनों का किस तरह से पालन कर रहा है। एक फाइनेंशियल ऑडिटर यह देखता है, लेकिन अगर हम देखें, तो एक ऑडिटर केवल कंपनी की वित्तीय नियमों का पालन नहीं देखता, बल्कि वे अन्य नियमों का भी ऑडिट करते हैं। दरअसल, ऑडिटिंग की फील्ड बहुत विस्तृत है और अब चाहे फाइनेंस क्षेत्र हो, कंप्यूटर का क्षेत्र हो, फोरेंसिक का क्षेत्र हो, हर जगह ऑडिटर की नियुक्ति की जा रही है।

अगर युवा इस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं, तो वे किसी विशेष क्षेत्र संबंधित ऑडिटिंग का कोर्स कर अपना कॉरियर उस क्षेत्र के ऑडिटर के रूप में बना सकते हैं। ऑडिटर एक ऐसा व्यक्ति है जो प्रक्रिया, सेवाओं, उत्पादों, संगठन और कर्मचारी का पुनः विश्लेषण और विकास करता है। वह कंपनी की उपयुक्तता, उसकी कार्यक्षमता और प्रभावशीलता की जांच करता है। वह कंपनी का विश्लेषण कर उसके विकास में मदद भी करता है।

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कौन सा कोर्स कर सकते हैं
आइसीएआइ से सीए
डिप्लोमा इन ऑडिटिंग
आईआरआईएस सर्टिफिकेशन
पोस्ट ग्रेजुएट इन ऑडिटिंग एंड एकाउंटेंसी
एडवांस प्रोग्राम इन साइबर सिक्योरिटी, ऑडिट एंड काम्पलाइंस

प्रमुख संस्थान
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया
कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी
इंडियन स्कूल ऑफ बिजने, मैनेजमेंट एंड एडमिनिस्ट्रेशन

यहां बना सकते हैं करियर
यह क्षेत्र छात्रों के लिए एक सदाबहार करियर के रूप में उभर रहा है। केवल अकाउंट की जानकारी नहीं, बल्कि तकनीक में हो रहे बदलावों ने इसे और आकर्षक करियर बना दिया है। |
ऑडिटर्स इंटरनल ऑडिटिंग से लेकर मैनेजमेंट अकाउंटिंग तक में अपना करियर बना सकते हैं।

कई तरह के होते हैं ऑडिटर
ऑडिटर कई तरह के होते हैं, इनमें इंटरनल ऑडिटर का काम व्यक्तिगत निगमों, सरकारी कंपनियों और अन्य संस्थाओं को नियोजित करना होता है, तो एक्सटरनल ऑडिटर कंपनी और संगठनों के फाइनेंशियल स्टेटमेंट को ऑडिट करते हैं। सरकारी ऑडिटर वह होते हैं, जो सरकारी उपक्रमों का अंकेक्षण करते हैं। वहीं, फोरेंसिक ऑडिटर का काम धोखाधड़ी और अपराध की जांच और पता लगाना होता है।
 

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