CBSE ने 10वीं-12वीं के स्टूडेंट्स को दी हाईटेक सुविधा, ऐप पर फेस रीडिंग से ही डाउनलोड हो जाएगी मार्कशीट

अब स्टूडेंट्स डिजिलॉकर से अपने डॉक्यूमेंट्स बिना आधार और मोबाइल नंबर के ही डाउनलोड कर सकेंगे। है। मार्कशीट के लिए छात्रों को स्कूल के चक्कर नहीं काटने होंगे बल्कि इसके लिए मोबाइल जैसा फेशियल रिकग्निशन सिस्टम काम आएगा।

करियर डेस्क. CBSE facial recognition system: सेंट्रल बोर्ड ऑफ सैकंडरी एजुकेशन (CBSE) ने छात्रों के लिए गजब हाईटेक सुविधा दी है। बोर्ड ने 10वीं-12वीं के स्टूडेंट्स के लिए मार्कशीट और दूसरे डॉक्यूमेंट्स डाउनलोड करने के लिए नए सिस्टम की शुरुआत की। 

अब स्टूडेंट्स डिजिलॉकर से अपने डॉक्यूमेंट्स बिना आधार और मोबाइल नंबर के ही डाउनलोड कर सकेंगे। है। मार्कशीट के लिए छात्रों को स्कूल के चक्कर नहीं काटने होंगे बल्कि इसके लिए मोबाइल जैसा फेशियल रिकग्निशन सिस्टम काम आएगा।

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बोर्ड ने डॉक्यूमेंट्स डाउनलोड करने के लिए फेशियल रिकग्निशन सिस्टम की शुरुआत की है, जिसकी मदद से स्टूडेंट्स कहीं भी कभी भी अपने डॉक्यूमेंट्स डाउनलोड कर सकेंगे। हालांकि ये सुविधा 10-12वीं छात्रों के लिए ही है।

विदेशी स्टूडेंट्स को मिलेगी राहत

CBSE की स्पोक्सपर्सन रमा शर्मा के मुताबिक, इस नए सिस्टम को भी स्टूडेंट्स डिजिलॉकर के जरिए ही एक्सेस कर पाएंगे। ऐसे स्टूडेंट्स जो डिजिलॉकर पासवर्ड या अपना मोबाइल नंबर भूल गए हैं या किसी और वजह से डिजिलॉकर नहीं खोल पा रहे तो उनके लिए यह टेक्निक काफी मददगार होगी। 

खासकर फॉरेन स्टूडेंट्स, जिनके पास आधार कार्ड नहीं है, इस सिस्टम के जरिए आसानी से कहीं भी अपनी मार्कशीट और सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सकेंगे। यह एप्लिकेशन अब "परीक्षा मंजुषा" और डिजिलॉकर digilocker.gov.in/cbse-certificate.html पर सभी 2020 के रिकॉर्ड के लिए उपलब्ध है।

क्या है फेशियल रिकग्निशन टेक्निक?

यह एक एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर है, जिसमें फेस को रीड करने के बाद डेटाबेस में पहले से ही स्टोर स्टूडेंट्स की डिटेल्स जैसे फोटो से इसे मैच करने के बाद मार्कशीट और सर्टिफिकेट उन्हें उपलब्ध कराए जाएंगे। इन डॉक्यूमेंट्स को स्टूडेंट्स अपनी सुविधा से बाद में डाउनलोड कर सकते हैं। डेटाबेस में मौजूद डिजिटल इमेज से स्टूडेंट का चेहरा मैच होते ही वह इसे एक्सेस और डाउनलोड कर सकते हैं। 

फेशियल रिकग्निशन टेक्निक में जानकारी के मुताबिक कैंडिडेट अपने चेहरे से मोबाइल फोन लॉक खोल सकता है। ये टेक्निक मोबाइल फोन के कारण चर्चा में रही हैं। अब सीबीएसई बोर्ड ने इसे स्कूल में लागू कर एजुकेशन में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को लेकर नया संदेश दिया है। 

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