उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्में बिपिन रावत की शुरुआती पढ़ाई देहरादून और शिमला में हुई। उसके बाद वो 'इंडियन मिलिट्री अकादमी' देहरादून चले गए जहां उन्हें प्रतिष्ठित 'सोर्ड ऑफ़ ऑनर' से पुरुस्कृत किया गया।
करियर डेस्क. तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार को सेना का हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस एमआई-17 V5 हेलिकॉप्टर (MI-17 V5 Helicopter) था। इसमें सेना के शीर्ष अधिकारी सवार थे। विमान में सीडीएस (Chief of Defense) बिपिन रावत की पत्नी मधुलिका रावत भी मौजूद थीं। विमान में 14 लोग सवार थे, हादसे में सभी लोगों की मौत हो गई है। जिसमें सीडीएस बिपिन रावत भी शामिल हैं। बिपिन रावत 31 दिसंबर 2016 से 31 दिसंबर 2019 तक सेना प्रमुख के पद पर रहे। उन्होंने 1 जनवरी 2020 को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का जिम्मा संभाला। आइए जानते हैं बिपिन रावत के पास कौन-कौन सी डिग्रियां थीं।
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्में बिपिन रावत की शुरुआती पढ़ाई देहरादून और शिमला में हुई। उसके बाद वो 'इंडियन मिलिट्री अकादमी' देहरादून चले गए जहां उन्हें प्रतिष्ठित 'सोर्ड ऑफ़ ऑनर' से पुरुस्कृत किया गया। जनरल रावत ने मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री ली। उन्होंने वेलिंगटन के 'डिफेन्स सर्विसेज स्टाफ कॉलेज' से स्नातक की डिग्री ली और फिर उन्होंने 'फोर्ट लेवेन्वर्थ' के 'हायर कमांड कोर्स' से आगे की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 'मिलिट्री और मीडिया - सामरिक अध्ययन' विषय पर शोध किया था।
इंडियन मिलिट्री अकादमी का इतिहास
एक अक्टूबर 1932 में स्थापित इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए) का गौरवशाली इतिहास रहा है। 40 कैडेट्स के साथ शुरू हुआ यह सफर वर्तमान में 1650 कैडेट्स तक पहुंच गया है। अब तक अकादमी देश-विदेश की सेना को 63 हजार 381 युवा अफसर दे चुकी है। इनमें 34 मित्र देशों के 2656 कैडेट्स भी शामिल हैं।
शिक्षा
बिपिन रावत ने भारतीय सैन्य अकादमी से स्नातक उपाधि प्राप्त की।
आईएमए देहरादून में इन्हें 'सोर्ड ऑफ़ ऑनर' से सम्मानित किया गया था।
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से रक्षा एवं प्रबन्ध अध्ययन में एम फिल की डिग्री।
मद्रास विश्वविद्यालय से स्ट्रैटेजिक और डिफेंस स्टडीज में भी एमफिल।
2011 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से सैन्य मीडिया अध्ययन में पीएचडी।
सेना में सेवाओं देता रहा है परिवार
रावत का परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवाएं दे रहा है। उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत थे जो कई सालों तक भारतीय सेना का हिस्सा रहे। बिपिन रावत के पास अशांत इलाकों में लंबे समय तक काम करने का अनुभव रहा। भारतीय सेना में रहते उभरती चुनौतियों से निपटने, नॉर्थ में मिलटरी फोर्स के पुनर्गठन, पश्चिमी फ्रंट पर लगातार जारी आतंकवाद व प्रॉक्सी वॉर और पूर्वोत्तर में जारी संघर्ष के लिहाज से उन्हें सबसे सही विकल्प माना जाता था।
सेना में कब हुई शामिल
वे 1978 से भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से ग्यारह गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में नियुक्त किया गया था, जहां उन्हें 'स्वॉर्ड ऑफ़ ऑनर 'से सम्मानित किया गया था।
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