
करियर डेस्क : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसका फायदा यह हुआ है कि अब छात्र बिना अकादमिक डिग्री (Academic Degree) के भी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रोफेसर बन सकेंगे। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के बाद यूजीसी ने प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस योजना लागू की है। अलग-अलग क्षेत्रों के एक्सपर्ट बिना NET की जरुरत पड़ेगी, न PhD के बतौर प्रोफेसर दो साल तक क्लास ले सकेंगे। इसमें म्यूजिक, नृतक, इंडस्ट्री और सोशल वर्कर समेत अन्य क्षेत्रों को एक्सपर्ट शामिल किए जाएंगे।
सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में सेवाएं देंगे एक्सपर्ट
18 अगस्त, 2022 को आयोजित बैठक में यूजीसी ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके तहत इंडस्ट्री से जुड़े एक्सपर्ट देश के इन सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में सेवाएं दे रहे हैं। अभी वर्तमान में चल रहे नियम की बात करें तो यूजीसी से मान्यता प्राप्त केंद्रीय विश्वविद्यालय, स्टेट यूनिवर्सिटीज और डीम्ड -टू-बी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बनने के लिए नेट और पीएचडी होना अनिवार्य था। बिना इसके कोई भी प्रोफेसर नहीं बन सकता। लेकिन प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस प्रस्ताव की मंजूरी के बाद अब बिना इन डिग्री के प्रोफेसर बनने का रास्ता खुल गया है। यूजीसी की मानक पर खरे उतरने वाले अलग-अलग फील्ड के एक्सपर्ट बतौर प्रफोसर दो साल के लिए काम कर सकेंगे।
इन नियमों में भी बदलाव
इसके अलावा यूजीसी ने स्वायत्त कॉलेज (Autonomous College) का दर्जा देने के नियमों में भी बदलाव किया है। अभी तक नियम यह था कि यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन की टीम जांच के आधार पर कॉलेजों को स्वायत्त होने का दर्जा देती है। लेकिन अब बदले गए नियम के तहत यह टीम निरीक्षण करने कॉलेज नहीं जाएगी। बल्कि नैक (National Assessment and Accreditation Council) की टीम 6 मानकों पर किसी भी कॉलेजों की जांच करेगी। जिसके आधार पर स्वायत्त का दर्जा दिया जाएगा। यूजीसी के नए नियम के तहत अब यह दर्जा पांच साल की बजाय 10 साल तक रहेगा।
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