मां चाहती थीं मैं सूरज पढ़ूं... अन्नपूर्णी सुब्रमणियम की साइंटिस्ट बनने की कहानी

Annapurni Subramaniam Inspirational Story: भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान की निदेशक अन्नपूर्णी सुब्रमणियम की प्रेरणादायक कहानी, जिन्होंने बचपन के सितारों के सपनों को साकार किया। जानिए

Annapurni Subramaniam Inspirational Story: अन्नपूर्णी सुब्रमणियम, जिनका नाम भारतीय खगोलशास्त्र (astronomy) के क्षेत्र में एक सम्मानित नाम है, आज भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान की निदेशक हैं। लेकिन उनकी यह यात्रा आसान नहीं थी। उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने में न केवल अपनी मेहनत और ज्ञान की जरूरत पड़ी, बल्कि अपनी जिज्ञासा को कभी हारने नहीं दिया। हाल ही में जब उन्हें 'इंडियन ऑफ द ईयर 2024' अवार्ड्स में 'साइंस आइकन ऑफ द ईयर' के रूप में सम्मानित किया गया, तो उन्होंने अपनी यात्रा के बारे में कुछ ऐसी बातें शेयर की जो हर छात्र और युवा के लिए प्रेरणा बन सकती हैं।

बचपन से सितारों की ओर आकर्षण

अन्नपूर्णी का कहना है कि बचपन में वह हर रात आसमान में चमकते सितारों को देखती थीं और उन्हें हमेशा यह जानने की इच्छा होती थी कि ये सितारे क्या हैं, कैसे चमकते हैं और उनका क्या रहस्य है। लेकिन उनके माता-पिता का ख्याल था कि यह रास्ता अकेला और जोखिम भरा हो सकता है। अन्नपूर्णी मुस्कुराते हुए बताती हैं, "मां अक्सर कहती थीं, 'तुम सूरज को क्यों नहीं पढ़ती? वो तो दिन में ही दिखाई देता है!' लेकिन मुझे तो रात के आकाश में ही अपना रास्ता मिला।"

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अपना डर जीतिए, गणित और भौतिकी से डरने की जरूरत नहीं

अवार्ड समारोह के दौरान अन्नपूर्णी ने उन छात्रों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश दिया जो गणित और भौतिकी जैसे कठिन विषयों से डरते हैं। उन्होंने कहा, "गणित और भौतिकी से डरने की जरूरत नहीं है। अगर आप इन्हें सही तरीके से समझें, तो ये विषय भी मजेदार बन जाते हैं। सबसे ज़रूरी है कि आप अपने डर का सामना करें। जब आप इसे समझते हैं, तो यह आसान हो जाता है।"

ब्रह्मांड के रहस्यों की खोज में लगी एक वैज्ञानिक

अन्नपूर्णी का खगोलशास्त्र से गहरा लगाव न केवल उनके ज्ञान की खोज से जुड़ा है, बल्कि यह उनके जीवन के बड़े सवालों का उत्तर पाने की एक कोशिश भी है। वह कहती हैं, "हम खगोलशास्त्री यह जानने की कोशिश करते हैं कि ब्रह्मांड में सोने की उत्पत्ति कैसे होती है। हमें इन अजीब सवालों का जवाब चाहिए, और हम लगातार इन्हें तलाशते रहते हैं।" उनका कहना है कि ब्रह्मांड के इन रहस्यों को जानना सिर्फ एक शैक्षिक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मिक संतुष्टि की भी बात है।

हम बच्चों को जिज्ञासा से भरपूर बनाए रखें

अन्नपूर्णी ने अपने अनुभवों के बारे में एक दिलचस्प किस्सा भी शेयर किया। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार- वह बताती हैं कि तमिलनाडु के एक स्कूल में एक छात्र ने उनसे पूछा कि प्लूटो को क्यों ग्रह से ड्वार्फ प्लेनेट में बदल दिया गया। इस सवाल ने उन्हें यह याद दिलाया कि बच्चों में सवाल पूछने की आदत को कैसे बनाए रखा जाए। "हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे हमेशा सवाल पूछें, चाहे वह कितना भी अजीब क्यों न लगे," उन्होंने कहा।

प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और जिज्ञासा बनाए रखने की जरूरत

अन्नपूर्णी ने आने वाली पीढ़ी की चिंता भी जताई। उनका कहना था, "मुझे यह चिंता है कि अगली पीढ़ी शायद कभी सितारे न देख पाए, क्योंकि प्रदूषण और पर्यावरणीय बदलावों के कारण हमारे आसमान का आकार बदल सकता है। हमें प्रकृति को बचाने की जरूरत है और साथ ही अपनी जिज्ञासा को भी जीवित रखना होगा।"  

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