Astronaut Career Guide: सुनीता विलियम्स की स्पेस स्टेशन से करीब 9 महीने बाद धरती पर वापसी हो रही है। उनका सफर बताता है कि एस्ट्रोनॉट बनना कितना रोमांचक लेकिन बेहद कठिन भी है। यदि आप भी अंतरिक्ष यात्री बनने का सपना देख रहे हैं तो जानिए पूरी डिटेल।
How to Become an Astronaut: नासा की स्टार एस्ट्रोनॉट भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स को स्पेस स्टेशन से वापस धरती पर लाने के लिए काउंटडाउन शुरू हो गया है। बुधवार तक उनके धरती पर वापस आ जाने की संभावना है। बता दें कि वह 8 दिनों के लिए एक स्पेस मिशन पर गईं थीं लेकिन उनके स्पेस यान में टेक्निकल फॉल्ट आ जाने के कारण उन्हें करीब 9 महीने स्पेस में गुजारने पड़े। इस वाकये से अंदाजा लगाया जा सकता है कि एस्ट्रोनॉट बनना रोमांच लेकिन बहुत जोखिम भरा करियर ऑप्शन है। सुनीता विलियम्स जैसे ही यदि आपका भी सपना अंतरिक्ष में जाने का है और आप एस्ट्रोनॉट (Astronaut) बनना चाहते हैं, तो बता दें कि उसके लिए फिजिकल फिटनेस, मेंटल स्ट्रेंथ, बेहतरीन एजुकेशनल क्वालिफिकेशन और कठिन ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। आगे जानिए एस्ट्रोनॉट बनने की पूरी प्रक्रिया, जरूरी डिग्री, संस्थान और ट्रेनिंग डिटेल्स।
एस्ट्रोनॉट वे लोग होते हैं जो स्पेस मिशन पर जाते हैं और वैज्ञानिक प्रयोगों के साथ-साथ रिसर्च, टेक्नोलॉजी टेस्टिंग और विभिन्न स्पेस मिशन को अंजाम देते हैं। ये NASA, ISRO, ESA, Roscosmos जैसी अंतरिक्ष एजेंसियों के लिए काम करते हैं।
एस्ट्रोनॉट बनने के लिए कुछ खास एजुकेशनल और फिजिकज योग्यताओं की जरूरत होती है। शैक्षणिक योग्यता के बात करें, तो साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग या मैथ्स (STEM) में बैचलर डिग्री, फिजिक्स, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, एस्ट्रोनॉमी, बायोलॉजी, कंप्यूटर साइंस जैसी फील्ड में मास्टर्स या पीएचडी (अधिक मौके के लिए), पायलट या एविएशन बैकग्राउंड वाले कैंडिडेट्स को प्राथमिकता दी जाती है।
एस्ट्रोनॉट बनने के लिए कैंडिडेट के पास पायलट, वैज्ञानिक या इंजीनियर के रूप में 3 से 5 साल का अनुभव होना जरूरी है। किसी रिसर्च संस्थान या अंतरिक्ष संगठन में काम करने का अनुभव भी फायदेमंद है।
एस्ट्रोनॉट बनने के लिए कैंडिडेट का बेहतरीन स्वास्थ्य और फिटनेस जरूरी है। जिसमें सही BMI और ब्लड प्रेशर, बेहतरीन आईसाइट (20/20 विजन) जैसी चीजें शामिल हैं।
एस्ट्रोनॉट बनने के लिए कैंडिडेट को टफ सेलेक्शन प्रोसेस से गुजरना होता है। NASA, ISRO, ESA आदि समय-समय पर एस्ट्रोनॉट्स की भर्ती निकालते हैं। इसमें कैंडिडेट को लिखित परीक्षा और इंटरव्यू प्रोसेस पूरा करना होता है। कैंडिडेट्स को टेक्निकल, साइंटिफिक और एप्टीट्यूड टेस्ट पास करना होता है। मेडिकल टेस्ट और साइकोलॉजिकल इवैल्यूएशन में कैंडिडेट की फिजिकल और मेंटल हेल्थ की गहराई से जांच की जाती है। चयनित कैंडिडेट्स को 2 से 4 साल की कठिन ट्रेनिंग से गुजरना होता है।
एस्ट्रोनॉट्स को ट्रेनिंग के दौरान कई तरह की एक्सरसाइज और मिशन-रेडी प्रोग्राम से गुजरना पड़ता है। जिसमें
वेटलेसनेस (Zero Gravity) ट्रेनिंग- अंतरिक्ष में भारहीनता महसूस करने की प्रैक्टिस
अंडरवॉटर ट्रेनिंग- अंतरिक्ष में चलने (Spacewalk) की ट्रेनिंग
सेंटरफ्यूज टेस्टिंग- तेज गति में घूमने और G-Force सहन करने की क्षमता
सर्वाइवल ट्रेनिंग- क्रैश लैंडिंग जैसी आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने की ट्रेनिंग
फ्लाइट सिमुलेशन- स्पेसक्राफ्ट कंट्रोल और नेविगेशन की प्रैक्टिस
अगर आप भारत में एस्ट्रोनॉट बनना चाहते हैं, तो इन संस्थानों से पढ़ाई कर सकते हैं-
NASA या ESA एस्ट्रोनॉट्स की शुरुआती सैलरी $66,000 से $144,000 प्रति वर्ष होती है। जबकि ISRO में एस्ट्रोनॉट्स को लगभग 2 लाख रुपए से 5 लाख रुपए प्रति माह मिल सकता है। करियर ऑप्शन की बात करें तो स्पेस रिसर्चर, मिशन कंट्रोल ऑफिसर, एयरोस्पेस इंजीनियर, एस्ट्रोनॉमी प्रोफेसर जैसे ऑप्शन मिलते हैं।
हां, ISRO भारतीय एस्ट्रोनॉट्स को गगनयान मिशन के लिए ट्रेनिंग दे रहा है। भारतीय वायुसेना के पायलट्स को ISRO की ट्रेनिंग के बाद रूस में अंतरिक्ष यात्रा की ट्रेनिंग दी जाती है। बता दें कि एस्ट्रोनॉट बनना आसान नहीं है, लेकिन अगर आपके पास सही डिग्री, अच्छी हेल्थ और कठिन ट्रेनिंग के लिए धैर्य है, तो आप इस सपने को पूरा कर सकते हैं।