
Bihar Board Rising in Popularity 2025: बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (BSEB) ने पिछले कुछ सालों में अपनी छवि और विश्वसनीयता में जबरदस्त सुधार किया है। अब यह सिर्फ बिहार के छात्रों के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों के छात्रों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन गया है। टाइम्सनाउन्यूज डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले सालों में लगभग 96,000 छात्र CBSE और ICSE बोर्ड से BSEB में आए। जानिए इसके पीछे के 4 बड़े कारण।
विशेषज्ञों के अनुसार, बिहार बोर्ड ने समय पर परीक्षा आयोजित करने, परिणाम जल्दी घोषित करने और सिलेबस को सुधारने में सफलता हासिल की है। इससे छात्रों को न सिर्फ बोर्ड की परीक्षा की तैयारी में आसानी होती है, बल्कि JEE Main, NEET और CUET जैसे राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी बेहतर ढंग से की जा सकती है। कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन एनरोलमेंट सिस्टम ने भी छात्रों को बोर्ड बदलने के लिए प्रेरित किया। जैसे ही स्कूल ऑफलाइन हुए, CBSE से BSEB शिफ्ट करने वाले छात्रों की संख्या लगभग 95,204 रही।
2016 के टॉपर विवाद और बोर्ड में भ्रष्टाचार के बाद BSEB ने अपनी छवि सुधारने की दिशा में कदम उठाए। तत्कालीन अध्यक्षों की गिरफ्तारी के बाद आनंद किशोर को बोर्ड का चेयरमैन नियुक्त किया गया। उनके नेतृत्व में बोर्ड ने पारदर्शिता, समय पर रिजल्ट और तकनीकी सुधार लागू किए। इस काम के लिए उन्हें 2022 में प्रधानमंत्री पुरस्कार भी मिला।
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बिहार बोर्ड में लड़कियों का प्रदर्शन हमेशा से बेहतर रहा है। 2025 में भी इंटरमीडिएट परीक्षा में 87.67% लड़कियों ने पास किया, जबकि लड़कों का पास प्रतिशत 85.34% रहा। आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस तीनों स्ट्रीम में टॉपर्स लड़कियों का दबदबा रहा।
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बिहार बोर्ड कक्षा 12 में पास प्रतिशत में लगातार सुधार देखा गया है। 2018 में पास प्रतिशत केवल 52.95% था, जबकि अब यह 86.50% तक पहुंच गया है। कक्षा 10 में भी सुधार हुआ है, पिछले साल 82.91% से घटकर 82.11% हुआ, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह लगातार बढ़ रहा है।
पिछले दशक में BSEB ने अपनी छवि पूरी तरह से बदल दी है। अब यह बोर्ड टाइमली रिजल्ट, पारदर्शी प्रक्रिया और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के अनुकूल सिलेबस के लिए जाना जाता है। ऐसे में न केवल बिहार के छात्रों बल्कि पूरे भारत से छात्र BSEB की ओर आकर्षित हो रहे हैं।