विश्वविद्यालय में हुई इस लापरवाही की जांच के लिए 6 महीने पहले ही एक कमेटी बनाई गई थी। जिसने अपनी रिपोर्ट भी दे दी है। इस लापरवाही का खामियाजा भुगतने वाले 115 छात्रों में से 95 ग्रेजुएशन के हैं और बाकी पोस्ट ग्रेजुएशन के छात्र..
करियर डेस्क : बेंगलुरू यूनिवर्सिटी (Bangalore University) में 10 साल पहले एग्जाम देने वाले 115 छात्र आज भी रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं। उम्मीद है कि इस साल तक उनकी मार्कशीट उन्हें मिल जाए। छात्रों के करियर के खिलवाड़ का यह मामला साल 2013 का है। तब बैंगलोर विश्वविद्यालय से एफिलिएटेड कॉलेजों के छात्रों की आंसरशीट विश्वविद्यालय प्रबंधन की लापरवाही से कहीं खो गई थी। 10 साल बीत गए लेकिन छात्रों का इंतजार खत्म नहीं हुआ। अब जाकर विश्वविद्याल की नींद खुली है और दूसरे सब्जेक्ट्स में मिले एवरेज के आधार पर उन्हें नंबर देने और रिजल्ट जारी करने का फैसला किया गया है। बता दें कि इस मामले की जांच के लिए 6 महीने पहले ही एक कमेटी बनाई गई थी। 115 छात्रों में से 95 ग्रेजुएशन के रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं, बाकी पोस्ट ग्रेजुएशन के छात्र थे।
भविष्य पर भारी बेंगलुरू विश्वविद्यालय की लापरवाही
कमिटी ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें कहा गया है कि यह एक बड़ी गलती है और इसमें शामिल कर्मचारियों-अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। किसी विश्वविद्यालय में इस तरह की गड़बड़ी न सिर्फ छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ है, बल्कि इसकी जिम्मेदारी रखने वालों की ड्यूटी का भी अपमान है। विश्वविद्यालय के लिए यह अच्छी बात है कि प्रभावित छात्र ने अदालत का रुख नहीं किया। इस तरह की गड़बड़ी दोबारा न हो, इसको लेकर कमेटी ने विशेषज्ञों से राय मांगी है।
अब किस आधार पर आएगा रिजल्ट
कमेटी की तरफ से यह फैसला किया गया कि औसत के आधार पर छात्रों को नंबर देना पूरी तरह गलत है। इसकी बजाय छात्रों को उसी सब्जेक्ट का एक बार फिर एग्जाम देने का मौका दिया जाए। हालांकि, जनवरी में हुई यूनिवर्सिटी की सिंडिकेट की बैठक ने कमेटी की इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है और सभी 115 छात्रों का रिजल्ट बाकी सब्जेक्ट्स के नंबर के हिसाब से एवरेज मार्किंग करने का फैसला लिया है। अब देखना होगा कि छात्रों का रिजल्ट यूनिवर्सिटी की तरफ से कब तक जारी किया जाता है। हालांकि इस तरह की लापरवाही से विश्वविद्यालय की साख पर भी सवाल उठ रहे हैं।
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