टेस्ला में विश्व स्तर पर 14,000 स्टाफ की छंटनी, पहले डुप्लीकेट रोल पर खूब हुई बहाली, काम पूरा होते ही नौकरी से निकालने की तैयारी

इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता टेस्ला ग्लोबली अपने 10 प्रतिशत तक वर्कफोर्स कम करने की तैयारी कर चुकी है। कंपनी को तेजी से डेवलप करने के दौरान एक ही रोल के लिए कई व्यक्तियों की बहाली हुई और अब लागत में कटौती के लिए छंटनी की तैयारी की गई है। जानिए

Anita Tanvi | Published : Apr 16, 2024 5:13 AM IST / Updated: Apr 16 2024, 10:53 AM IST

इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनी टेस्ला ने ग्लोबली अपने वर्कफोर्स में 10% से अधिक की छंटनी करने की तैयारी कर ली है। एलन मस्क के स्वामित्व वाली यह कंपनी यदि ऐसा करती है तो इस छंटनी में टेस्ला के करीब 14,000 से अधिक कर्मचारियों की नौकरी चली जायेगी। electrick.com द्वारा एक्सेस किए गए एक इंटरनल ईमेल में, सीईओ मस्क ने कहा है कि तेजी से डेवलपमेंट के कारण कंपनी में एक ही रोल का दोहराव हुआ है और अब डेवलपमेंट के अगले चरण के लिए लागत में कमी करने के लिए छंटनी की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।

विश्व स्तर पर स्टाफ की संख्या में 10% से अधिक कम

ईमेल के अनुसार कंपनी को जब जरूरत थी तब एक ही रोल के लिए कई व्यक्तियों की नियुक्ति की गई और अब पहले चरण का काम पूरा होते ही कंपनी कास्ट कंटिंग के नाम पर एक्स्ट्रा वर्कफोर्स को नौकरी से निकाल रही है। इस ईमेल में कहा गया है कि जैसा कि हम कंपनी को डेवलपमेंट के अपने अगले चरण के लिए तैयार कर रहे हैं, लागत में कटौती और प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए कंपनी के हर पहलू को देखना बेहद महत्वपूर्ण है। इस प्रयास के हिस्से के रूप में हमने संगठन की गहन समीक्षा की है और विश्व स्तर पर हमारे कर्मचारियों की संख्या को 10% से अधिक कम करने का कठिन निर्णय लिया गया है।

ऑटो डिलीवरी में गिरावट की रिपोर्ट के बाद आया यह फैसला

टेस्ला में छंटनी की यह घोषणा ऑटो डिलीवरी में गिरावट की रिपोर्ट आने के कुछ दिनों बाद आई। वहीं टेक अरबपति एलन मस्क इसी महीने अपनी भारत यात्रा पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलने वाले हैं और उम्मीद है कि वह यहां एक नई टेस्ला फैक्ट्री खोलने की अपनी योजना के बारे में घोषणा करेंगे। 

नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति की घोषणा के बाद एलन मस्क की भारत यात्रा

बता दें कि एलन मस्क की भारत यात्रा की गई नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति की घोषणा के एक महीने बाद हो रही है, जिसमें ईवी के आयात पर करों में लगभग 85% की कटौती करने की योजना है। नीति के तहत ईवी निर्माताओं को न्यूनतम ₹ 4,150 करोड़  इनवेस्ट करने की आवश्यकता है और उन्हें भारत में विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने के लिए तीन साल का समय दिया गया है।

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