
जब भी किसी 'Foreign Secretary' यानी विदेश सचिव का नाम सामने आता है, तो एक जिम्मेदार, गंभीर और देश की विदेश नीति को संभालने वाले कूटनीतिज्ञ की छवि दिमाग में उभरती है। हाल ही में ‘Operation Sindoor’ जैसी बड़ी सैन्य कार्रवाई की जानकारी देश और दुनिया को देने वाले भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री (Vikram Misri) एक बार फिर चर्चा में हैं।
विक्रम मिस्री का नाम आज देश और विदेश में चर्चा में है। 15 जुलाई 2024 को उन्होंने भारत के विदेश सचिव के रूप में कार्यभार संभाला। लेकिन इस ऊंचे ओहदे तक पहुंचने का उनका सफर बेहद दिलचस्प रहा है। विक्रम मिस्री का जन्म 7 नवंबर 1964 को श्रीनगर में हुआ था। विक्रम मिस्री की पत्नी का नाम डॉली मिस्री है और उनके दो बच्चे हैं।
विक्रम मिस्री ने अपनी शुरुआती पढ़ाई उधमपुर से की और फिर ग्वालियर के प्रतिष्ठित सिंधिया स्कूल से स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से इतिहास में ग्रेजुएशन किया और जमशेदपुर के मशहूर एक्सएलआरआई (XLRI) से एमबीए की डिग्री हासिल की।
सरकारी सेवा में आने से पहले विक्रम मिस्री ने लगभग तीन साल प्राइवेट सेक्टर में भी काम किया। मुंबई की लिंटास इंडिया और दिल्ली की कॉन्ट्रैक्ट एडवर्टाइजिंग कंपनियों में उन्होंने एड फिल्म मेकिंग और विज्ञापन के क्षेत्र में अनुभव लिया। 1989 में वे इंडियन फॉरेन सर्विस (IFS) में शामिल हुए। शुरुआती दिनों में उन्होंने विदेश मंत्रालय के पाकिस्तान डेस्क पर काम किया और दो बड़े नेताओं इंद्र कुमार गुजराल और प्रणब मुखर्जी के साथ विदेश मंत्री के रूप में सहयोग किया।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री की चर्चा के बीच लोगों के मन में ये सवाल उठ रहा है कि इतना बड़ा पद संभालने वाले अधिकारी को कितनी सैलरी मिलती है? आइए जानते हैं Foreign Secretary Vikram Misri सैलरी और पावर के बारे में।
वर्तमान में भारत के विदेश सचिव की सैलरी 7th Pay Commission के तहत तय होती है। इस पद पर तैनात अधिकारी को हर महीने ₹2,25,000 की फिक्स बेसिक सैलरी मिलती है। यह सैलरी Pay Level-17 में आती है, जो भारत सरकार के सबसे ऊंचे वेतनमानों में से एक है। इसके अलावा Foreign Secretary को कई तरह की सरकारी सुविधाएं और भत्ते भी मिलते हैं, जैसे – सरकारी बंगला, आधिकारिक गाड़ी, डोमेस्टिक स्टाफ और मेडिकल सुविधाएं।
Foreign Secretary भारत के विदेश मंत्रालय का सबसे उच्च पद होता है। यह वह अधिकारी होता है जो देश की विदेश नीति तय करने में अहम भूमिका निभाता है और इंटरनेशनल मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करता है। यह पोस्ट सिर्फ किसी प्रशासनिक कुर्सी की तरह नहीं होती, बल्कि इसमें रणनीतिक सोच, वैश्विक नजरिया और संकट के समय तेज फैसले लेने की क्षमता जरूरी होती है। विदेश सचिव ना सिर्फ दूसरे देशों के साथ भारत के रिश्तों को मैनेज करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय विवादों और कूटनीतिक चुनौतियों पर सरकार को सलाह भी देता है।
Vikram Misri इस समय भारत के Foreign Secretary हैं। इससे पहले वे चीन में भारत के राजदूत और प्रधानमंत्री के निजी सचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। उन्होंने कई दशक विदेश सेवा में बिताए हैं और दुनिया की कई प्रमुख राजधानियों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। Foreign Secretary का चुनाव Indian Foreign Service (IFS) के वरिष्ठतम अधिकारियों में से किया जाता है। इसमें योग्यता, अनुभव और अंतरराष्ट्रीय मामलों की समझ सबसे ज्यादा मायने रखती है।
विक्रम मिस्री प्रधानमंत्री कार्यालय में जॉइंट सेक्रेटरी भी रहे। खास बात ये है कि वे तीन प्रधानमंत्रियों इंद्र कुमार गुजराल, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के प्राइवेट सेक्रेटरी भी रह चुके हैं। विदेशों में उनकी नियुक्तियां भी बेहद अहम रहीं। ब्रसेल्स, ट्यूनिस, इस्लामाबाद और वॉशिंगटन डीसी में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। वे श्रीलंका में डिप्टी हाई कमिश्नर और म्यूनिख में भारत के काउंसल जनरल भी रहे। इसके अलावा स्पेन, म्यांमार और चीन जैसे बड़े देशों में वे भारत के राजदूत भी रह चुके हैं।
विक्रम मिस्री ने 2022 से 2024 तक उन्होंने डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (स्ट्रैटजिक अफेयर्स) के रूप में भी अहम भूमिका निभाई। वे भारत के तीसरे कश्मीरी पंडित हैं जिन्होंने विदेश सचिव जैसा जिम्मेदार पद संभाला है। उनसे पहले आर.के. नेहरू (1952–1955) और टी.एन. कौल (1968–1972) ये पद संभाल चुके हैं।
Foreign Secretary की पोस्ट सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि देश की डिप्लोमेसी की धुरी है। ₹2.25 लाख की सैलरी के साथ मिलने वाली जिम्मेदारियां कहीं ज्यादा बड़ी होती हैं। Vikram Misri जैसे अधिकारी इस पद पर देश का चेहरा बनते हैं। जहां एक तरफ इंटरनेशनल मीटिंग्स होती हैं, तो दूसरी तरफ युद्ध जैसे हालात में दुनिया को भारत का रुख समझाना होता है।