
Harvard University Foreign Student Ban: अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने एक बड़ा फैसला लिया है, जिससे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की चिंता बढ़ गई है। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने हार्वर्ड को 2025-26 सत्र से अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देने से रोक दिया है। यह फैसला हार्वर्ड के कैंपस में सुरक्षा को लेकर उठाया गया है। DHS का कहना है कि हार्वर्ड ने ऐसे छात्रों को पनाह दी है जो "एंटी-अमेरिकन" और "आतंकी विचारधारा" को बढ़ावा दे रहे हैं और यहां तक कि विश्वविद्यालय पर यह आरोप भी लगाया गया है कि उसने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ मिलकर काम किया है।
यह कदम हार्वर्ड के लगभग 6,800 विदेशी छात्रों पर असर डालने वाला है, जो अभी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे हैं। DHS ने कहा है कि अब इन छात्रों को या तो किसी और कॉलेज में ट्रांसफर करना होगा या फिर उन्हें अपने अमेरिकी कानूनी दर्जे को खोने का खतरा हो सकता है। अगर यह रोक लागू होती है तो यह विदेशों से आए छात्रों के लिए एक बड़ा झटका होगा, क्योंकि वे USA में अपनी पढ़ाई के लिए यहां रहते हैं।
यह फैसला तब आया जब Homeland Security सचिव क्रिस्टि नोम ने हार्वर्ड से जानकारी मांगी थी कि क्या कुछ विदेशी छात्र हिंसक प्रदर्शनों में शामिल हुए थे। इसके बाद हार्वर्ड को चेतावनी दी गई कि अगर वो अपने विदेशी छात्रों के बारे में जरूरी रिपोर्ट नहीं देता, तो इसे गंभीर माना जाएगा। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने इस फैसले का विरोध करते हुए इसे गलत करार दिया और कहा कि यह कदम उनके शैक्षिक मिशन और राष्ट्रीय हित के खिलाफ है।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बारे में यह भी कहा गया कि यहां करीब 25% छात्र अंतर्राष्ट्रीय होते हैं, जिनमें अधिकांश ग्रेजुएट प्रोग्राम्स के छात्र होते हैं और ये छात्र 100 से ज्यादा देशों से आते हैं। अगर यह रोक लागू होती है तो हार्वर्ड के लिए यह बहुत बड़ी समस्या बन सकती है, क्योंकि यह उन छात्रों के भविष्य को प्रभावित करेगा जो यहां अपनी पढ़ाई पूरी करने आए थे।
अब हार्वर्ड को 72 घंटे की समय सीमा दी गई है, जिसके अंदर उन्हें विदेशी छात्रों के बारे में सारी जानकारी देना होगा, ताकि यह साबित किया जा सके कि वे कोई अवैध या खतरनाक गतिविधियों में शामिल नहीं हुए। हार्वर्ड प्रशासन ने कहा है कि वह प्रभावित छात्रों की मदद करेगा, लेकिन यह कदम उनके लिए बहुत नुकसानदेह है।
अब देखने वाली बात यह है कि हार्वर्ड इस फैसले को बदलने के लिए क्या कदम उठाता है, क्योंकि इस फैसले से न केवल वहां पढ़ाई करने वाले विदेशी छात्रों का भविष्य खतरे में है, बल्कि हार्वर्ड की छवि पर भी बड़ा असर पड़ सकता है।