IIT ग्रेजुएट्स के वेतन में गिरावट, जानें क्या है सच्चाई?

हाल के दिनों में आईआईटी ग्रेजुएट्स के वेतन पैकेज में गिरावट देखी गई है, जिसके कारण कई युवा प्रोफेशनल्स को कम वेतन वाली नौकरियां स्वीकार करनी पड़ रही हैं। यह गिरावट वैश्विक आर्थिक मंदी, उद्योग में बदलाव और बढ़ती प्रतिस्पर्धा जैसे कई कारणों से हुई है।

Asianetnews Hindi Stories | Published : Sep 4, 2024 5:47 AM IST

नई दिल्ली. हाल के दिनों में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) ग्रेजुएट्स के वेतन पैकेज में भारी गिरावट देखी गई है, जिसके परिणामस्वरूप कई युवा प्रोफेशनल्स को कम वेतन वाली नौकरियां स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। आइए जानते हैं इस स्थिति का कारण क्या है और 2024 के वेतन ट्रेंड्स का सच क्या है।

पिछले वर्ष की तुलना में कैंपस ड्राइव के माध्यम से छात्रों की नियुक्ति संख्या में गिरावट देखी गई है। इस वर्ष IIT-B से नियुक्ति करने वाली कंपनियों की संख्या में 12% की वृद्धि हुई है। इस वर्ष दिया जाने वाला सबसे कम वेतन पैकेज सालाना ₹4 लाख रहा।

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व्यापार, बैंकिंग और फिनटेक कंपनियां उल्लेखनीय नियुक्तियाँ रहीं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, उत्पाद प्रबंधन और डेटा साइंस जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय नियुक्ति देखी गई। लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में, 11 कंपनियों ने भाग लिया, कुल 30 लोगों को नौकरी मिली। अनुसंधान और विकास में, 36 संस्थानों ने ऑटोमेशन, ऊर्जा विज्ञान और एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में 97 नौकरियां दीं। 118 सक्रिय पीएचडी छात्रों में से 32 को सफलतापूर्वक नियुक्त किया गया।

 

वेतन पैकेज में गिरावट
औसत वेतन: IIT- बॉम्बे की 2023-24 की प्लेसमेंट रिपोर्ट के अनुसार, औसत वार्षिक पैकेज ₹23.5 लाख तक बढ़ गया है। लेकिन कम पैकेज ₹4 लाख तक गिर गया है, जो पिछले साल ₹6 लाख था।

वेतन का अंतर: आईआईटी के नए संस्थानों में भी औसत वेतन ₹12 से ₹14 लाख तक गिर गया है, जबकि पुराने आईआईटी में यह ₹15-16 लाख तक है।

वैश्विक आर्थिक मंदी
वैश्विक आर्थिक मंदी और यूक्रेन युद्ध के प्रभाव ने अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के नियुक्ति अभियानों को प्रभावित किया है। इससे आईआईटी में कम अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां नियुक्तियां कर रही हैं।

 

उद्योग में बदलाव: इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और विनिर्माण क्षेत्रों की ओर रुझान बढ़ रहा है, जिससे कुछ पारंपरिक प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में गिरावट देखी गई है।

प्रतिस्पर्धा और इंटर्नशिप में वृद्धि:
 पूर्णकालिक नौकरियों के बजाय कंपनियां इंटर्नशिप का अवसर दे रही हैं, जिससे स्थायी पदों की संख्या कम हो गई है।

बढ़ती प्रतिस्पर्धा:
बढ़ती प्रतिस्पर्धा और बदलती उद्योग की मांग ने वेतन पर असर डाला है।

सीमित अवसर: 
इस वर्ष आईआईटी में हुए कैंपस प्लेसमेंट में कई छात्रों को नौकरी नहीं मिल पाई है। 2023 में 21% और 2024 में 38% छात्र अभी भी बेरोजगार हैं। हाल के वर्षों में स्नातकों की संख्या बढ़ रही है और सीमित नौकरी के अवसरों के कारण वेतन के प्रस्ताव कम हो रहे हैं।

निजी कंपनियों का प्रभाव
स्थानीय कंपनियों द्वारा दी जाने वाली नौकरियों में कम वेतन देखा जा रहा है। विशेष रूप से प्रति माह ₹33,000 वेतन पैकेज देने वाली कंपनियां आईआईटी ग्रेजुएट्स को मजबूरन स्वीकार करने के लिए मजबूर कर रही हैं।

नौकरी विविधता:
इंजीनियरिंग और आईटी क्षेत्रों में कई कंपनियां कम वेतन पर नियुक्तियां कर रही हैं, लेकिन कुछ नए और उभरते क्षेत्रों में अच्छे अवसर उपलब्ध हैं। लेकिन वेतन कम है।

उच्च शिक्षा और अन्य विकल्प
कई छात्र नौकरी के बजाय एमएस, एम.टेक, पीएचडी या एमबीए जैसी उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं, जिससे नौकरी के अवसर और भी कम हो रहे हैं।

इस प्रकार, बढ़ती प्रतिस्पर्धा, वैश्विक आर्थिक मंदी और कंपनियों की बदलती नीतियां आईआईटी ग्रेजुएट्स को कम वेतन वाली नौकरियां स्वीकार करने के लिए मजबूर कर रही हैं। यह चुनौतीपूर्ण स्थिति उच्च वेतन और बेहतर अवसरों की तलाश कर रहे आईआईटी ग्रेजुएट्स के लिए एक बड़ी परीक्षा है।

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