IIT बॉम्बे के प्रदर्शन कला महोत्सव के दौरान रामायण की नकल माने जाने वाले विवादास्पद नाटक 'राहोवन' का मंचन करने के लिए 8 छात्रों पर जुर्माना लगाया है। तय जुर्माने की राशि छात्रों के एक सेमेस्टर के फीस के आसपास है।
आईआईटी बॉम्बे ने 31 मार्च को संस्थान के प्रदर्शन कला महोत्सव (पीएएफ) के दौरान रामायण की नकल माने जाने वाले विवादास्पद नाटक 'राहोवन' का मंचन मामले में अपने 8 छात्रों पर जुर्माना लगाया है। बता दें कि छात्रों के एक ग्रुप ने औपचारिक रूप से नाटक के खिलाफ शिकायत की थी और आरोप लगाया था कि यह पूरी तरह से हिंदू महाकाव्य रामायण पर आधारित था और इसमें हिंदू मान्यताओं और देवताओं का अपमान और मजाक उड़ाया गया। वहीं कुछ छात्रों ने यह आरोप भी लगाया था कि नाटक ने नारीवाद को बढ़ावा देने की आड़ में मुख्य पात्रों की खिल्ली उड़ाई और सांस्कृतिक मूल्यों का मजाक उड़ाया। किये गये इन शिकायतों के कारण 8 मई को संस्थान की अनुशासनात्मक समिति की बैठक हुई, जिसमें 4 जून को दंड की घोषणा की गई। बता दें कि परफॉर्मिंग आर्ट्स फेस्टिवल आईआईटी बॉम्बे का एक एनुअल कल्चरल प्रोग्राम है, जिसमें छात्र अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।
प्रत्येक छात्र पर 1.2 लाख रुपये जुर्माना, कई प्रतिबंध भी लगाये
संस्थान ने चार छात्रों में से प्रत्येक पर 1.2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। यह राशि संस्थान के लगभग एक सेमेस्टर की ट्यूशन फीस के बराबर है। वहीं चार अन्य छात्रों में प्रत्येक पर 40,000 का जुर्माना लगाया गया। साथ ही इन छात्रों पर एक्स्ट्रा प्रतिबंध भी लगाये गये जिसमें छात्रों को दिए जाने वाले संस्थान के जिमखाना अवार्ड पर प्रतिबंध भी शामिल है। वहीं जूनियर छात्रों को हॉस्टल सुविधाओं से वंचित कर दिया गया। जुर्माना 20 जुलाई, 2024 को छात्र मामलों के डीन के ऑफिस में लगाया जाएगा। संस्थान ने चेतावनी दी कि इस दंड के किसी भी उल्लंघन के परिणामस्वरूप आगे और प्रतिबंध लगाए जाएंगे।
परफॉर्मेंस की वीडियो क्लिप एक्स पर पोस्ट करने के बाद मामले ने तूल पकड़ा
इस विवाद ने सोशल मीडिया पर तब तूल पकड़ लिया जब 'आईआईटी बी फॉर भारत' समूह ने 8 अप्रैल को नाटक की निंदा करते हुए इसे भगवान राम और रामायण का मजाक बताया। ग्रुप ने परफॉर्मेंस की वीडियो क्लिप पोस्ट की, जिसमें आरोप लगाया गया कि छात्रों ने प्रतिष्ठित हस्तियों का उपहास करने के लिए शैक्षणिक स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया। इंटरनेट पर वायरल हुए वीडियो में छात्रों को कथित तौर पर रामायण के पात्रों और प्लॉट सेटिंग्स से प्रेरित एक नाटक प्रस्तुत करते हुए दिखाया गया है। एक वीडियो में, कथित तौर पर सीता की भूमिका निभा रही एक छात्रा अपने "अपहरणकर्ता" और उस स्थान की प्रशंसा करती है जहां उसे ले जाया गया था।
डिसिप्लिनरी एक्शन और जुर्माने पर मिलीजुली प्रतिक्रिया
छात्रों के एक ग्रुप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, हम नाटक राहोवन में शामिल लोगों के खिलाफ आईआईटी बॉम्बे प्रशासन द्वारा की गई डिसिप्लिनरी एक्शन का स्वागत करते हैं, जिसमें रामायण को अपमानजनक तरीके से दर्शाया गया है। सुनिश्चित करें कि परिसर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में किसी भी धर्म का उपहास न किया जाए। मामले में जहां कुछ ग्रुप ने छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के संस्थान के फैसले की सराहना की, वहीं कुछ ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले के रूप में निंदा की है।
एक्स पर एक यूजर ने लिखा, मैंने हमेशा सुना था कि शैक्षणिक संस्थान सुरक्षित स्थान होने चाहिए, अपनी राय व्यक्त करने के लिए सुरक्षित स्थान होने चाहिए। अफसोस, यहां तक कि आईआईटी भी अब सुरक्षित स्थान नहीं रहे।
एक अन्य यूजर ने लिखा, यह बेहद गंभीर है। कॉलेजों में किसी भी धर्म के प्रति अनादर करने पर छात्रों पर जुर्माना नहीं लगाया जा सकता। कॉलेज ऐसी जगहें हैं, जहां किसी को भी स्वतंत्र रूप से धर्म का मजाक उड़ाने में सक्षम होना चाहिए। आईआईटी बॉम्बे को इसे वापस लेना चाहिए।
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