भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय लोगों की सच्ची कहानियां, जख्म जो पीढ़ियों तक नहीं भरे

Published : Aug 14, 2025, 03:02 PM IST
India pakistan partition 1947

सार

India Pakistan Partition Story: 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन की दर्दभरी कहानियां, इतिहास के छुपे पहलू और लाखों लोगों के पलायन की सच्चाई जानकर आप कांप उठेंगे। जानिए कैसे आजादी से पहले भारत-पाकिस्तान बंटवारे ने करोड़ों जिंदगियों की दिशा बदल दी।

India Pakistan Partition Story 1947: भारत की आजादी का दिन 15 अगस्त 1947, वह दिन जिसका सपना करोड़ों भारतीयों ने पीढ़ियों तक देखा था। 90 साल लंबा संघर्ष, हजारों क्रांतिकारियों की कुर्बानियां, असंख्य आंदोलन और जेल की सलाखों के पीछे बिताए गए साल, सबका एक ही मकसद था आजाद भारत। लेकिन जब आजादी का सूरज उगा, तो उसके साथ एक ऐसा काला साया भी था जिसने खुशियों को आंसुओं में बदल दिया देश का विभाजन। कहते हैं, बंटवारा केवल जमीन का नहीं हुआ था, बंटवारा हुआ था इंसानों का, उनके रिश्तों का, उनकी यादों और भावनाओं का और ये घाव इतने गहरे थे कि पीढ़ियां बीत गईं, पर दर्द अब भी जिन्दा है। 

क्यों और कैसे हुआ भारत-पाकिस्तान का बंटवारा?

उस समय देश में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों के लोग रहते थे। लेकिन मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग तेज कर दी। अगस्त 1946 में डायरेक्ट एक्शन डे के नाम पर कलकत्ता में भयानक दंगे भड़के। हजारों लोग मारे गए और पूरे देश में डर का माहौल बन गया। नेताओं पर दबाव डाला गया कि अगर गृहयुद्ध रोकना है, तो देश को दो हिस्सों में बांटना पड़ेगा। 1941 की जनगणना के मुताबिक भारत में लगभग 29 करोड़ हिंदू और 4 करोड़ मुसलमान थे, बाकी अन्य धर्मों के लोग। फिर भी धर्म के नाम पर एक बड़ा भूभाग काटकर पाकिस्तान बना दिया गया। इस फैसले में करोड़ों लोगों से राय तक नहीं ली गई।

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भारत-पाक विभाजन के बाद पलायन और उजड़े घर

विभाजन के बाद 1.4 करोड़ से ज्यादा लोग बेघर हो गए। पाकिस्तान से 72 लाख हिंदू और सिख भारत आए और भारत से लगभग उतने ही मुसलमान पाकिस्तान गए। लाखों लोग ट्रेन और पैदल सीमाएं पार करने लगे। किसी के पास घर छोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं था। कई परिवारों ने जमीन, दुकान, खेत, मकान सबकुछ वहीं छोड़ दिया। ट्रेनें जो पाकिस्तान से भारत आतीं, उनमें अक्सर लाशें भरी होतीं। जिनके प्रियजन उन ट्रेनों में थे, उनके लिए वह आखिरी सफर बन जाता।

भारत और पाकिस्तान बंटवारे के दौरान चला हिंसा और मौत का सिलसिला

विभाजन के दौरान अनुमान है कि 10 से 20 लाख लोग मारे गए। जगह-जगह दंगे भड़के। पंजाब, बंगाल, सिंध, कश्मीर, हैदराबाद, हर जगह इंसानियत का खून बहा। 80,000 से ज्यादा महिलाओं का अपहरण, बलात्कार या हत्याएं हुई। कई महिलाओं को पाकिस्तान में जबरन रोक कर धर्म बदलने और शादी करने पर मजबूर किया गया। सिंधी और पंजाबी हिंदुओं ने तो अपना पूरा प्रदेश खो दिया। सिंधी भाषा और संस्कृति धीरे-धीरे लुप्त होने लगी। पाकिस्तान में जो सिंधी मुसलमान बचे, उन्होंने भी उर्दू अपनाई। विभाजन के तुरंत बाद, कश्मीर पर कबायली हमलावर टूट पड़े। लूटपाट और कत्लेआम हुआ। कश्मीरी पंडितों को अपने घर छोड़कर जम्मू की ओर पलायन करना पड़ा।

India Pakistan Partition में महिलाओं को मिला सबसे बड़ा दर्द

भारत और पाकिस्तान विभाजन की सबसे बड़ी त्रासदी महिलाओं के हिस्से आई। हजारों महिलाओं और बच्चियों को अगवा किया गया, उनके साथ अत्याचार हुए। कई अपने परिवार से बिछुड़ गईं और कभी लौट न सकीं। नतीजा यह हुआ कि आजादी की सुबह के साथ एक ऐसा जख्म भी मिला, जो आज तक हरा है। लाखों लोगों की यादें, घर, रिश्ते सब उस बंटवारे में छिन गए और जो लोग जिंदा बचे, वे अपनी कहानियों में वह दर्द पीढ़ियों तक सुनाते रहे।

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Anita Tanvi

अनीता तन्वी। मीडिया जगत में 15 साल से ज्यादा का अनुभव। मौजूदा समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर एजुकेशन सेगमेंट संभाल रही हैं। इन्होंने जुलाई 2010 में मीडिया इंडस्ट्री में कदम रखा और अपने करियर की शुरुआत प्रभात खबर से की। पहले 6 सालों में, प्रभात खबर, न्यूज विंग और दैनिक भास्कर जैसे प्रमुख प्रिंट मीडिया संस्थानों में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, ह्यूमन एंगल और फीचर रिपोर्टिंग पर काम किया। इसके बाद, डिजिटल मीडिया की दिशा में कदम बढ़ाया। इन्हें प्रभात खबर.कॉम में एजुकेशन-जॉब/करियर सेक्शन के साथ-साथ, लाइफस्टाइल, हेल्थ और रीलिजन सेक्शन को भी लीड करने का अनुभव है। इसके अलावा, फोकस और हमारा टीवी चैनलों में इंटरव्यू और न्यूज एंकर के तौर पर भी काम किया है।Read More...
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