भारतीय शिक्षा मंत्रालय का वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (सीएसटीटी) 10 भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं में भी अब डिक्शनरी प्रकाशित करने जा रहा है। इसे लेकर तैयारी की जा रही है.
एजुकेशन डेस्क। अब हिन्दी और अंग्रेजी के अलावा वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली के साथ क्षेत्रीय भाषाओं में भी डिक्शनरी (शब्दकोष) प्रकाशित की जाएगी। भारतीय शिक्षा मंत्रालय का वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (सीएसटीटी) 10 भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं में कम प्रतिनिधित्व वाली तकनीकी और वैज्ञानिक शब्दावली तैयार कर रहा है।
संस्कृत, बोडो, संथाली, डोगरी, कश्मीरी, कोंकणी, नेपाली, मणिपुरी, सिंधी, मैथिली और कोंकणी उन 22 भाषाओं में शामिल हैं जिन्हें भारत की आठवीं अनुसूची में आधिकारिक भाषा के रूप में स्थान मिला है. हालांकि, तकनीकी अवधारणा और वैज्ञानिक शब्दों को समझाने के लिए शब्दावली की कमी के कारण उनमें बहुत कम अध्ययन सामग्री जुट पाती है.
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तीन से चार महीनों में होगी उपलब्ध
सीएसटीटी की मेहनत जल्द ही रंग लाएगी और तीन से चार महीनों में सभी क्षेत्रीय भाषा में 5,000 शब्दों के साथ मूल शब्दकोशों की डिक्शनरी जारी कर दी जाएगी। ये डिजिटल रूप से बिना किसी शुल्क के साथ सभी लोगों के लिए उपलब्ध रहेगी। सभी क्षेत्रीय भाषाओं में इस डिक्शनरी की 1000 से 2,000 प्रतियां छपेंगी।
सीएसटीटी की प्राथमिकताएं
सीएसटीटी की माने तो उसकी प्राथमिकता होगी कि पहल सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, पत्रकारिता, लोक प्रशासन, रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, प्राणीशास्त्र, मनोविज्ञान, भौतिकी, अर्थशास्त्र, आयुर्वेद और गणित समेत 15 क्षेत्रों को वह कवर करे। इससे सभी यूनिवर्सिटी, मिडिल और सीनियर सेकेंडरी दोनों ही स्कूलों के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्य पुस्तकें बनाना संभव हो सकेगा।
तकनीकी प्रवेश परीक्षाओं के कंटेंट तैयार करने में होगी सहयोगी
क्षेत्रीय भाषाओं में तैयार ये डिक्शनरी तकनीकी प्रवेश परीक्षाआों जैसे कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी), ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेईई) मेन और यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी), नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) जैसी एंट्रेंस एग्जाम्स के लिए कंटेंट तैयार करने में मददगार होगी. इन डिक्शनरियों को विभिन्न राज्यों में बांटा जाएगा.
1950 में 14 भाषाओं को राष्ट्रीय भाषा सूची में शामिल किया गया था. बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली को 2004 में कोंकणी, मणिपुरी और सिंधी को 1992 में और सिंधी को 1967 में प्रस्तुत किया गया था।
शिक्षा मंत्रालय के सीएसटीटी के अध्यक्ष प्रोफेसर गिरीश नाथ झा ने कहा, "इन 10 भाषाओं में सामग्री और भाषाई संसाधनों की कमी है, जिससे इन भाषाओं में सीखने की सामग्री की कमी हो रही है।"
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सीएसटीटी की स्थापना 1961 में सभी भारतीय भाषाओं में तकनीकी शब्दावली विकसित करने के उद्देश्य से की गई थी। तेजी से इंटरनेट वितरण के लिए, एजेंसी IIT बॉम्बे सहित प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ कई समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर कर रही है। यह निर्णय महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 स्कूलों और कॉलेजों दोनों में क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षण का समर्थन करती है।
हालांकि सरकार ने कई राज्यों में स्थानीय भाषाओं में इंजीनियरिंग और चिकित्सा कार्यक्रमों की शुरुआत करने के साथ कई प्रयास किए हैं. यूजीसी ने भी जल्द ही व्यवसाय, मानविकी और विज्ञान सहित सभी शैक्षणिक क्षेत्रों में क्षेत्रीय भाषाओं में स्नातक कार्यक्रमों की शुरुआत के लिए एक खाका तैयार किया है.